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सेवा का भाव, मुफ्त में इलाज… देखें वीडियो

locationजबलपुरPublished: Mar 02, 2019 09:29:07 pm

Submitted by:

manoj Verma

देशसेवा का जुनून : 12 साल से चिकित्सकीय परामर्श और दवाओं का नि:शुल्क वितरण

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12 साल से चिकित्सकीय परामर्श और दवाओं का नि:शुल्क वितरण

जबलपुर। सेना में देशसेवा के बाद एक पूर्व सैन्य अफसर को मानव सेवा का जुनून कम नहीं हुआ। अब वे अपनी डॉक्टर पत्नी के साथ मिलकर एेसे लोगों को चिकित्सा लाभ दे रहे हैं, जिन्हें इसकी जरूरत है। पूर्व सैन्य दम्पती ने गुरुद्वारे में दवाखाना खोला है। वहां वे लोगों को मुफ्त परामर्श देते हैं। मरीजों को दवा भी देते हैं। करीब 12 साल से सेवा कर रहे इस दम्पती की सेवाभाव में इनके बच्चे भी सहयोग करने लगे हैं। दम्पती कहते हैं कि सेवा के साथ वे शिविर भी लगा रहे हैं। साथ ही चिकित्सा सुविधा बढ़ाने की कोशिश में भी हैं।
गोरखपुर गुरुद्वारे में पूर्व कर्नल रवींद्र मल्होत्रा और उनकी पत्नी सेवानिवृत एल्गिन अधीक्षक जीके मल्होत्रा मिलकर पीडि़तों की सेवा कर रहे हैं। दम्पती मरीजों की नि:शुल्क जांच कर उन्हें दवा दे रहे हैं। रोजाना शाम को दवाखाने पर औसतन 50 मरीज देख रहे हैं। इन मरीजों में असाध्य बीमारियों के मरीज भी शामिल रहते हैं। दवाखाने के अलावा जरूरत पडऩे पर वे घर पर भी नि:शक्तजनों को देखते हैं। मरीजों की संख्या को देखते हुए अब दम्पती ने जरूरी चिकित्सा सुविधा में विस्तार करने की तैयारी की है, जिससे जांच के नाम पर मरीजों का आर्थिक शोषण न हो।
पॉथोलॉजी की तैयारी
पूर्व कर्नल दम्पती का कहना है कि गुरूद्वारा समिति ने हमें मुफ्त कमरा दिया हुआ है। यहां हम जांच के साथ मरीजों को नि:शुल्क दवाएं दे रहे हैं। मरीजों की जरूरत पर उन्हें पॉथोलॉजी जांच लिखी जाती है। मरीजों की जांच में आर्थिक संकट आने पर वे जांच नहीं करवा पाते हैं। एेसी स्थिति को देखते हुए हम पैथोलॉजी शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें रक्त, मल-मूत्र की जांच के साथ ईसीजी भी हो सकेगा। इसके लिए गुरूद्वारा समिति ने हमें स्वीकृति भी दे दी है। गुरूद्वारे में दवाखाने से लगे कॉरीडोर में पैथोलॉजी और ईसीजी यूनिट के लिए कक्ष बनवाया जा रहा है। दम्पती का ेउम्मीद है कि इस माह मरीजों की जांच भी शुरू हो जाएगी। जांच के लिए अब उन्हें भटकना नहीं पड़ेगा।
मां का पूरा कर रहे सपना
कर्नल रवीन्द्र बताते हैं कि वे मूलत: पंजाब के हैं। पंजाब में जिस कस्बे में वे रहते थे वहां से 40 किमी के क्षेत्र में कोई डॉक्टर नहीं था। वे बचपन में रिश्तेदार डॉक्टर का बैग पकड़कर चलते थे। उनके घर में ही दवाएं रखी जाती थी। बचपन का किस्सा बताते हुए उनकी आंखे नम हो गई कि कस्बे के अलावा दूर दराज से तकलीफ होने पर लोग कहते थे कि बीजी के घर चले जाओ, वहां दवा मिल जाएगी। वह एक एेसा मंजर था, जिसे वे भूल नहीं सकते हैं और वे सेवानिवृत होने के बाद उस यादा को जीवित रखे हुए हैं ताकि उन लोगों को चिकित्सा लाभ मिल सके, जो जरूरतमंद हैं।
मरीजों की हालत देखकर सेवा शुरू
सेवानिवृत डॉ. जीके मल्होत्रा बताती हैं कि उन्होंने एल्गिन अस्पताल में रहते हुए एेसे मरीज देखें हैं, जो आर्थिक रूप से इतने कमजोर थे कि कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसके साथ ही देश-विदेश की कॉन्फ्रेंस में जाकर जब मरीजों की हालत और उनके आंकड़े देखते तो हम सेवानिवृत होने के बाद खुद एेसे लोगों की सेवा में लग गए हैं। हमें अभी भी याद है कि नया मोहल्ला से करीब अस्सी वर्ष का वयोवृद्ध आया। मैंने उसकी जांच की और जांच के बाद जब उसे दवा और टॉनिक की बोतल दी तो उसकी आंखे भर आई। उसका कहना था कि उसकी इतनी लंबी जिंदगी में किसी ने भी हमें टॉनिक नहीं दी।
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