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फिर टूटी उम्मीद, इस शहर से हो ही जाती है बेवफाई

locationजबलपुरPublished: Jul 13, 2019 01:27:52 am

Submitted by:

shyam bihari

केंद्र और राज्य के बजट में कई बड़े प्रोजेक्ट छूटे

फिर टूटी उम्मीद, इस शहर से हो ही जाती है बेवफाई

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जबलपुर। केंद्र के बाद अब राज्य सरकार का भी बजट आ गया है। दोनों बजट में शहर के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को नजरअंदाज कर दिया गया है। जबकि, केंद्र और राज्य सरकार में शहर और पूरे महाकोशल का राजनीतिक पक्ष मजबूत है। फिर भी बड़ा फायदा लेने में चूक हो रही है। शहर के विकास को गति देने के लिए ऐसे कई बड़े काम थे, जिन्हें बजट में शामिल किया जाना चाहिए था। उनमें डिफेंस, यातायात सुधार, वृहद उद्योग, खनिज, अभियांत्रिकीय और पशु चिकित्सा के उन्नयन जैसे मुख्य काम हैं।
चिकित्सा- भले नया अस्पताल बन रहा है। जिला चिकित्सालय का उन्नयन होगा। लेकिन, भीषण दुर्घटनाओं मे घायलों के त्वरित इलाज के लिए ट्रॉमा यूनिट का सपना पूरा नहीं हुआ है। इसका निर्माण मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में किया जाना था। इसी प्रकार एक शासकीय डेंटल कॉलेज की पहल पर भी कोई बात नहीं हुई।
वृहद उद्योग- जबलपुर और आसपास खनिजों के भंडार है। यहां पूर्व में इस्पात कारखाना और उर्वरक कारखाना की स्थापना की बात कही गई लेकिन धरातल पर कुछ नहीं आया। यदि इन्हें विभागों के बजट में शामिल किया जाता तो न केवल बड़ा निवेश आता बल्कि लोगों को रोजगार भी मिलता।
रक्षा उद्योग- देश के कम शहर हैं जहां इतनी संख्या में आयुध निर्माणियां हैं। इनकी स्थिति ठीक नहीं है। खासकर वीकल फैक्ट्री। इसे नॉन कोर में शामिल किए जाने के बाद काम की भारी कमी हो गई है। इसी तरह इन पर आश्रित करीब 40 उद्योगों को काम मिलना बंद हो गया है। डिफेंस क्लस्टर की संभावना भी ज्यादा थी। बजट में इस पर चर्चा तक नहीं हुई।
अभियांत्रिकीय विवि- रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का कद छिंदवाड़ा में नए विश्वविद्यालय की घोषणा के साथ कम हो गया है। इसकी पूर्ति यहां अभियांत्रिकीय विश्वविद्यालय के रूप में की जा सकती थी। इसके लिए शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज उपयुक्त जगह है। पहले भी इसे विश्वविद्यालय का स्वरूप देने की बात कही गई है।
पशु चिकित्सा- शहर पशु चिकित्सा के क्षेत्र में विख्यात हैं। अब वेटरनरी यूनिवर्सिटी की स्थापना भी हो चुकी है। अभी सबसे बड़ी कमी पशुओं के लिए आर्थोपैडिक अस्पताल की है। इस कारण कोई बड़ी सर्जरी नहीं हो पाती है। इसकी स्थापना का जिक्र किसी भी बजट में नहीं किया गया।
यातायात- शहर की यातायात व्यवस्था चौपट है। इसके पटरी पर लाने के लिए बड़ें सुधारों की जरूरत है। कहीं सड़क चौड़ी है तो कहीं संकरी। पर्याप्त जगहों पर टै्रफिक सिग्नल नहीं है। मास्टर प्लान के हिसाब से सड़कों का निर्माण नहीं हेाता। जनसंख्या के साथ ही वाहनो की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में बड़ी परियोजना की जरूरत है।

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