जबलपुरPublished: Aug 02, 2019 09:01:26 pm
shyam bihari
जबलपुर से शक्तिभवन भोपाल शिफ्ट करने की तैयारी का होने लगा विरोध
Alcohol abuse came to the public in the university
जबलपुर। संस्कारधानी के नाम से भी पहचाना जाने वाला जबलपुर शहर इन दिनों अपने कई तरह के पावर छीन जाने से चर्चा में है। कभी मध्यप्रदेश की राजधानी का दर्ज पाते-पाते पीछे छूट गया जबलपुर महाकौशल को सबसे महत्वपूर्ण शहर है। यहां हाईकोर्ट है। शक्तिभवन है। कई विश्वविद्यालय हैं। लेकिन, हाल ही में चर्चा छिड़ी है कि प्रदेश सरकार प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों को एक करने की कवायद कर रही है। ऐसा होने पर पावर सिटी कहलाने वाली संस्कारधानी को तगड़ा झटका लगेगा। पावर मैनेजमेंट कंपनी, जनरेशन कंपनी और ट्रांसमिशन कंपनी का मुख्यालय शक्तिभवन में ही है। प्रदेश में शक्तिभवन की पहचान भी बिजली मुख्यालयों के लिए है।
विवि का विखंडन
जबलपुर शहर से कई बड़े संस्थान दूसरे शहरों मेें शिफ्ट कर दिए गए हैं। कुछ समय पहले यहां के रानीदुर्गावती विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों को अलग करके छिंदवाड़ा में बन रही यूनिवर्सिटी में मर्ज किया गया। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी का दफ्तर भी शिफ्ट करने का आदेश जारी कर दिया गया। फुटबॉल के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर के प्रस्तावित स्टेडियम को भी छीन लिया गया। जबलपुर वासियों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि नई विकास कार्य, उद्योगधंधे, बड़े कार्यालय यहां नहीं बनाए जा रहे हैं। पहले से स्थापित संस्थानों को यहां से शिफ्ट करने का खेल अलग से शुरू हो गया है। इस सबके लिए आम जनता का आक्रोश जनप्रतिनिधियों को लेकर भी है। यह सही है कि योजनागत निर्णय प्रदेश स्तर पर लिए जाते हैं। इसके लिए पूरी कमेटी बैठती है। नफे-नुकसान पर चर्चा के बाद ही बड़े फैसले किए जाते हैं। लेकिन, जबलपुर को लेकर जिस तरह से फैसले हो रहे हैं, उससे लोगों के मन में यह बात आ रही है कि यहां के प्रतिनिधित्व अपनी बात ठोस तरीके से नहीं रख पा रहा है। जबलपुर शहर से दो मंत्री हैं। महाकौशल से ही मुख्यमंत्री भी आते हैं। ऐसे में यहां लोगों को उम्मीद थी कि इस बार विकास की नई तस्वीर इस क्षेत्र में बनाई जाएगी। लेकिन, शहर में तो आम विकासकार्य ही चौपट हो गए हैं। बड़े लेवल पर सरकारी संस्थानों को बंटवारा करके क्षेत्र को दोहरा झटका दिया जा रहा है। आयुधनिर्माणियों के भी बुरे हाल हैं।