scriptshani jayanti 2018: शमशान के शनि देव, सांकल से बंधी है ये रहस्मयी प्रतिमा- जानें खासियत | shani jayanti key totke in hindi | Patrika News

shani jayanti 2018: शमशान के शनि देव, सांकल से बंधी है ये रहस्मयी प्रतिमा- जानें खासियत

locationजबलपुरPublished: May 13, 2018 09:59:50 am

Submitted by:

Lalit kostha

शमशान के शनि देव, सांकल से बंधी है ये रहस्मयी प्रतिमा- जानें खासियत
 

shani jayanti key totke in hindi

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जबलपुर। 15 मई को शनि अमावस्या मनाई जा रही है। अनेक वर्षों बाद इस संयोग पड़ा है जब वट सावित्री, शनि अमावस्या एक साथ है। पुण्य सलिलाओं के तट पर आज श्रद्धालुओं को बड़ी संख्या में सुबह से ही देखने मिल रहा है। इस अवसर पर हम आपको कुछ ऐसे स्थानों के बारे में बता रहे हैं, जो शनिदेव की महिमा के लिए जाने जाते हैं।

तिलवारा शनि मंदिर (Tilwara)
तिलवारा शनि मंदिर नर्मदा घाट से कुछ दूरी पर स्थित है। यहां आसपास चारों ओर सुनसान है। मान्यता है कि शनिवार के दिन तिल और तेल चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करते हैं। यह स्थान तिलवारा शनि मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां सबसे अनोखी बात ये है कि इस शनि स्थान से कुछ ही दूरी पर श्मशान बना है। जहां मृतकों को दफनाया व उनकी अंतिम क्रिया की जाती है। जिसकी वजह से ये स्थान डरावना भी प्रतीत होता है और रात के वक्त लोग यहां आने से बचते हैं।

 

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अढ़ैया शनि मंदिर (Hirapur)
भेड़ाघाट चौराहे से 5 किमी दूर शहपुरा रोड पर हीरापुर बंधा नामक स्थान पर मौजूद है अढ़ैया शनि मंदिर। इसे मानव मंदिर भी कहा जाता है। आमतौर पर शनि मूर्तियों से अलग ये प्रतिमा लौह से निर्मित है जिसमें सांकल, त्रिशुल, भाला, चिमटा, सरिया मौजूद हैं जो कि एक थाली (परात) जमे हुए नजर आते हैं। ये अपनी तरह का अनोखा स्थान है। यहां 15 शिवलिंग होने के साथ ही कुछ पेड़ भी लगे हैं, जिनके नाम आनंददेव, कीर्तिदेव, समृद्धिदेव, यशदेव रखे गए हैं।

 

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शनि कुण्ड (Lameta Ghat)
लम्हेटा घाट में स्थित है शनि कुण्ड। कुण्ड के समीप ही शनिदेव की एक प्रतिमा भी जहां पूजा-अर्चना कर काले झण्डे, तिल, तेल आदि चढ़ाया जाता है। कहते हैं कि यहां स्नान कर शनिदेव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। एवं कई रोगों का अंत होता है। विभिन्न पर्वों पर यहां खासे लोग आते हैं। साथ ही जब-तब शनि से संंबंधित कष्टों का निवारण करने के लिए भी लोग यहां पहुंचते हैं। यहां आपको बता दें कि लम्हेघाट में इंद्रदेव के वाहन एरावत के पद चिंह, भगवान राम-लक्ष्मण और हनुमान के आगमन से संंबंधित प्रमाण भी मिलते हैं।

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