जबलपुर। द्वारिका एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने एक बार फिर साईं बाबा के मंदिर निर्माण व पूजन को अनुचित बताया है। शंकराचार्य ने कहा कि हमारा सनातन धर्म इसकी अनुमति नहीं देता। मंगलवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि किसी पर श्रद्धा होना अलग बात है। यह ठीक भी है, लेकिन किसी व्यक्ति को भगवान जैसा बताकर उनका मंदिर बना देना और ईश्वर की तरह पूजन करना वैदिक धर्म के विपरीत है। सनातन धर्म में केवल पंचदेवों के ही मंदिर के निर्माण व पूजन का विधान बताया गया है।
शंकराचार्य ने कहा कि लोग अज्ञानतावश भ्रमित हो रहे हैं। ऐसे लोगों को अपने वेद और शास्त्रों से सीख लेना चाहिए। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरा साईं बाबा से कोई विरोध नहीं है, लेकिन उन्हें जिस तरह प्रचारित किया जा रहा है। जिस तरह उनके चालीसा और यहां तक कि आरती व पूजन की किताबें तक चल गई हैं। यह हमारी आने वाली पीढ़ी को भ्रमित करेंगी। हमें धर्म सम्मत कार्य ही करना चाहिए।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि हम अपने घरों में जहां भगवान राम,कृष्ण,दुर्गा और शालिग्राम की तस्वीरें रखते थे वहां हम साईं की तस्वीर रखने लगे। उन्होंने इसे सनातन धर्म विरुद्ध बताते हुए कहा कि हमने पूरे देश में घूम-घूम कर इसका विरोध किया। गौरतलब है कि करीब एक साल पहले भी स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं पूजा का देश व्यापी विरोध किया था। जिसके परिणामस्वरूप कहीं शंकराचार्य के पक्ष में और कहीं उनके विरोध में लोगों ने अपना समर्थन दिया था। बाद में यह मामला अदालत तक पहुंचा था।