नगर निगम के जोन क्रमांक 14-15 के तहत शांतिनगर के पीछे दमोहनाका की ओर खाली भूखंडों में कचरा बिनाई का खेल चल रहा है। इस जगह पर सुबह से लेकर शाम तक कचरा ढोने वाले टिपर आ-जा रहे हैं। ये टिपर कचरा खाली करते हैं और इसकी बिनाई के बाद इसे वापस भरकर उसे डम्प पर छोड़ दिया जाता है। इससे यह कचरा बड़े वाहनों के जरिए कम्प्रेस होकर कठौंदा प्लांट में पहुंच रहा है।
कचरा बीनने वाले शामिल
जानकार कहते हैं कि इस जगह पर टिपर के पहुंचते ही यहां कचरा बीनने वाले पहुंच रहे हैं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं, जो कचरा पलटते ही उसमें प्लास्टिक, लोहा व अन्य सामग्री निकाल रहे हैं। इसे वे अन्य बोरियों में भर रहे हैं।
कबाड़खाने पहुंचा रहे बोरिया
इस डंपिंग जोन से कचरा बीनने के बाद भरी बोरियों को ऑटो रिक्शा के जरिए कबाड़खाने भेजा जा रहा है। बताया जा रहा है कि इसमें यहां बिनाई के दौरान प्लास्टिक व अन्य सामग्री की अलग-अलग बोरियां बना ली जाती है। इससे कबाड़खाने में इसे सप्लाई करने में कोई परेशानी नहीं होती है।फैल रहा कचरा : छंटाई-बिनाई की वजह से इस क्षेत्र में कचरा फैल रहा है। कचरे में पन्नी हवा से उड़कर फैल रही है तो कपड़े आदि फैल रहे हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि इसकी वजह से यहां आवारा जानवर भी एकत्र हो रहे हैं। इससे यह कचरा और फैलता है।
फैल रही दुर्गंध : कचरा डंप होने से दमोहनाका से लगी बसाहट में दुर्गंध का वातावरण बन रहा है। क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक कचरे में कई बार यह भी सामने आया है कि वहां दो-दो दिन कचरा वैसे ही पड़ा रहता है। इसे बाद में जेसीबी आदि से उठाया जाता है।खुले कबाड़खाने : क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि दमोहनाका के क्षेत्रीय बस स्टैंड से लगी जगह पर कब्जा करके कबाड़खाने खोल लिए गए हैं। इस जगह पर कबाड़ की खरीद-फरोख्त की जा रही है। इसमें मेडिकल वेस्ट भी शामिल है। जानकार कहते हैं कि इस जगह से कुछ ही दूर नगर निगम के जोन कार्यालय का दफ्तर है लेकिन वे इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
– कचरा संग्रहण और परिवहन पर सुपरवाइजर नजर रख रहे हैं। इन जगहों पर छोटी गाडि़यों का कचरा बड़े वाहन में पलटाया जाता है। यदि इसमें छांटबीन की जा रही है तो उसे दिखवाया जाएगा।
भूपेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम