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ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला के अनुसार शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व है। हर माह की पूर्णिमा को लोग पुण्यार्जन करते हैं, लेकिन आश्विन की पूर्णिमा श्रेष्ठ मानी जाती है। चन्द्रमा 16 कलाओं से सम्पूर्ण होकर रोशनी बिखेरता है। लोग रात में जागरण और भजन कीर्तन करते हैं। शरद पूर्णिमा की रात खीर या पेड़ा बनाकर घर के बाहर सुरक्षित स्थान पर रखा जाता है। मान्यता है कि पूर्णिमा की रात में खीर में औषधीय तत्व मिल जाते हैं। इस रात महालक्ष्मी भ्रमण करती हैं और भजन कीर्तन करने वाले भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
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कार्तिक व्रत का प्रारम्भधार्मिक दृष्टि से कार्तिक माह महत्वपूर्ण है। भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा को महारास रचाया था। पूर्णिमा के दिन ही महिलाएं कार्तिक माह का व्रत प्रारम्भ करती हैं। भगवान श्रीकृष्ण की सखी बनकर एक माह उपासना करने की धार्मिक परम्परा है। खीर के प्रसाद का होगा वितरणशरद पूर्णिमा को आयुर्वेदिक संस्थानों में औषधीय खीर का वितरण किया जाता है। जबकि, धर्मप्रेमी लोग खीर का प्रसाद वितरित कर पुण्य की प्राप्ति करते हैं। इस रात में लोग छतों पर समय बिताकर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
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कल होगा औषधीय खीर का वितरण
शरद पूर्णिमा के अवसर पर रविवार को द्वादस ज्योर्तिलिंग पिपलेश्वर महादेव मंदिर हाथीताल में औषधीय खीर का वितरण किया जाएगा। बाल मुकुंद शास्त्री ने बताया, दमा रोगियों के लिए खीर वितरित की जाएगी। साथ ही इस मौके पर कुछ दिनों के लिए परहेज भी बताए जाएंगे।