जबलपुर। दुश्मन के इलाके में 38 से 40 की दूरी तक गोला बरसाने वाली शारंग तोप का उत्पादन जबलपुर में तेज हो गया है। उत्पादन के साथ-साथ इसका परीक्षण और फिर सेना को डिस्पैच का काम भी गति के साथ किया जा रहा है। अभी इतनी तोप भेजी जा चुकी हैं, जिससे सेना की दो रेजीमेंट तैयार हो सकें। आधा दर्जन से ज्यादा तोप इस स्थिति में हैं कि उनकी जल्द रवानगी शहर से हो सकती है। यह पहली तोप है, जिसका इतनी तीव्र गति से उत्पादन और डिस्पैच का काम हो रहा है। गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) और वीकल फैक्ट्री जबलपुर (वीएफजे) में 130 एमएम को अपग्रेड कर 155 एमएम 45 कैलीबर तोप शारंग तैयार की गई है। यह पूर्व की तोप से कई गुना शक्तिशाली होने के साथ-साथ नई तकनीक से लैस है। इस तोप से सेना को नई तोप की ताकत भी मिल गई है। जीसीएफ और वीएफजे के बाद अब तीसरी आयुध निर्माणी जीआईएफ में भी यह काम शुरू हो रहा है। ऐसे में 300 तोप को अपग्रेड करने के ऑर्डर में ज्यादा गति आ सकेगी।
35 से अधिक तोप उपयोग में
जीसीएफ और वीएफजे से अब तक 35 से अधिक धनुष तोप डिस्पैच हो चुकी है। सूत्रों ने बताया कि वीएफजे में सात तो जीसीएफ में करीब 2 तोप इस स्थिति में हैं कि उनका डिस्पैच कभी भी किया जा सकता है। यानि वे पूरी तरह तैयार हैं। इसी प्रकार इन निर्माणियों को जल्द ही 15 से ज्यादा 130 एमएम तोप मिलने वाली हैं जिन्हें अपग्रेड किया जाएगा। ज्ञात हो कि जबलपुर ऐसा शहर है जहां पर तोप का उत्पादन, उसका परीक्षण और डिस्पैच तीनों की सुविधा है।
लगाई जा रही विशेष सेफ्टी डिवाइस
शारंग तोप में अब एक नई सेफ्टी डिवाइज लगाई जा रही है। इस डिवाइज का काम यह होगा कि जब भी तोप की बैरल को दाईं और बाईं दिशा में मोड़कर फायर किया जाएगा तो वह तय डिग्री पर रहे। बैरल को नीचे से ऊपर 0 से 45 डिग्री तक ले जा सकता है। दायीं से बायीं तरफ 0 से 24 डिग्री तक मोड़ा जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि यह डिवाइज अभी तक सोल्टम गन में लगती थी। सेना ने इसमें भी लगाने के लिए कहा है। नई बनने वाली सभी तोप में यह लगाई जा रही है, वहीं जो डिस्पैच हो चुकी हैं उन्हें उनकी तैनाती स्थल पर जाकर फिट किया जाएगा।