कायम है परम्परा : सावन सोमवार को पूजन के लिए उमड़ता है भक्तों का सैलाब
सावन माह में भगवान शिव की उपासना की प्रधानता है, लेकिन संस्कारधानी में भगवती शारदा को प्रसन्न करने की भी परम्परा है। मान्यता है कि सावन सोमवार को भगवती को झंडा चढ़ाने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नागपुर रोड स्थित शारद चौक से मंदिर तक करीब एक किमी दूर ऊंची पहाड़ी पर भक्त नंगे पांव चलकर झंडा चढ़ाने पहुंचते हैं। इससे पहले बांस की रंगाई-पुताई और सजावट कर भगवती का झंडा बांधा जाता है। सावन सोमवार को मंदिर मार्ग पर वाहनों का प्रवेश वर्जित कर दिया जाता है।
मेले की तैयारी शुरू
सावन माह में हर सोमवार को शारदा मंदिर मार्ग पर मेला लगता है। इस साल भी तैयारी शुरू हो गई है। झूले लग गए हैं। पूजन सामग्री सहित अन्य दुकानें लगाई जा रही हैं। इस बार मंदिर मार्ग के आस-पास के निर्माण को तोडकऱ सडक़ को चौड़ा किया गया है। हालांकि मार्ग का निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है।
16वीं सदी की है प्रतिमा
इतिहासकार राजकुमार गुप्ता ने बताया कि 1547 से 1564 तक रानी दुर्गावती का शासनकाल था। उन्होंने 16वीं सदी में मदन महल किले के समीप शारदा मंदिर की प्र्रतिमा स्थापित की थी। रानी ने मालवा के सुल्तान को पराजित करने के बाद मंदिर में झंडा चढ़ाया था। रानी दुर्गावती युद्ध में विजय के बाद मां भगवती को झंडा अर्पित करती थीं।