scriptप्रदेश के इस शहर में डॉक्टरों की कमी से अटका सरकारी अस्पतालों का अपग्रेडेशन | Shortage of doctors in government hospitals | Patrika News

प्रदेश के इस शहर में डॉक्टरों की कमी से अटका सरकारी अस्पतालों का अपग्रेडेशन

locationजबलपुरPublished: Oct 15, 2019 06:41:40 pm

Submitted by:

reetesh pyasi

doctordoctorनिजी अस्पतालों के भरोसे गंभीर रोगों से पीडि़त

doctor.jpg

Doctor Transfer

जबलपुर। शहर में पांच सरकारी अस्पताल होने के बावजूद हृदय रोगी निजी अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर हैं। शहर में एक भी सरकारी अस्पताल ऐसा नहीं है जहां हृदय रोगी को प्रारंभिक उपचार से लेकर सर्जरी तक की सुविधा हो। यह स्थिति स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों को अपग्रेड नहीं करने और चिकित्सा शिक्षा विभाग से सम्बद्ध अस्पतालों में डॉक्टरों और सुविधाओं की कमी से बनी है। आलम यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में स्त्री, शिशु, नाक, कान, गला, बुखार, हड्डी, नेत्र सबंधी कुछ बीमारियों का ही इलाज हो पा रहा है। इसका फायदा निजी अस्पताल उठा रहे हैं।

डॉक्टर और संसाधन की कमी
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला अस्पताल में विभिन्न बीमारियों के विशेषज्ञ उपचार सुविधा विकसित करने की कोई योजना नहीं है। सम्भाग के सबसे बड़े नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में हृदय रोगी के पूर्ण उपचार की व्यवस्था नहीं है। बेहद कम फीस पर एंजियोग्राफी और सर्जरी की सुविधा देने के लिए बनाए गए सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में भी जल्द ऑपरेशन शुरू होने के आसार नहीं हैं।

प्रमुख सरकारी अस्पताल
मेडिकल कॉलेज, सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल, विक्टोरिया हॉस्पिटल, सरकारी सिविल अस्पताल, रांझी, एल्गिन।
निजी अस्पतालों में फीस
एंजियोग्राफी 10 हजार रुपए
एंजियोप्लास्टी 01 लाख रुपए
ओपन हार्ट सर्जरी 2 लाख रुपए
(नोट : यह शुल्क का औसत है। स्टेंट, वॉल्व के अनुसार शुल्क और ज्यादा हो जाता है।)

मेडिकल कॉलेज में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी दूर करने के प्रयास जारी हैं। सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में
जल्द ही सभी सुविधाएं होंगी। हृदय रोगियों को बेहतर उपचार सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
विजयलक्ष्मी साधौ, चिकित्सा शिक्षा मंत्री
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो