scriptशहर में लगें खाद्य प्रसंस्करण यूनिट तो मिले टमाटर, मटर और मिर्च के उत्पादों का जायका | Shortage of Food Processing Unit in city | Patrika News

शहर में लगें खाद्य प्रसंस्करण यूनिट तो मिले टमाटर, मटर और मिर्च के उत्पादों का जायका

locationजबलपुरPublished: Jul 20, 2017 01:26:00 am

Submitted by:

praveen chaturvedi

जिले में खाद्य प्रसंस्करण यूनिट का अभाव, मेहनत को नहीं मिलता उचित दाम 

tomato

tomato


जबलपुर। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की दृष्टि से जिला पिछड़ता जा रहा है। आसपास के क्षेत्रों में मटर, टमाटर, हरी मिर्च की पैदावार बढ़ी है। इन उत्पादों से दूसरी चीजें तैयार करने के लिए पर्याप्त खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां नहीं होने से सीधे बाजार में बेच दिया जाता है। इससे किसानों को उपज का सही दाम नहीं मिलता। इस दिशा में न शासन ध्यान दे रहा है, न ही इन इकाइयों को लगाने निवेशक आ रहे हैं।

वर्तमान में औद्योगिक एवं निजी क्षेत्रों में करीब 40 खाद्य प्रसंस्करण यूनिट हैं। इनमें राइस मिल, फ्लोर मिल, बड़ी, पापड़ और अचार बनाने की यूनिट ज्यादा हैं। मात्र एक कंपनी मटर का वैल्यू एडीशन करती है। टमाटर, प्याज और आलू से बनने वाले पदार्थों की यूनिट कम हैं। बड़ी कंपनियां सस्ते दामों में इनकी खरीदी कर दो से तीन गुना कीमत पर बेचती हैं। 

15 हजार क्विंटल प्याज खराब
शासन द्वारा एक सप्ताह पहले तक रैक से 3.40 लाख क्विंटल प्याज भेजी गई। इसमें से 15 हजार क्विंटल से ज्यादा खराब हो गई। यदि खाद्य प्रसंस्करण इकाई होती तो इसे सुरक्षित कर अन्य उत्पाद बनाए जा सकते थे। व्यापारियों ने थोक में प्याज की खरीदी कर एेसे राज्यों में भेजा, जहां इसके उत्पाद तैयार करने वाली इकाइयां हैं। 


city



बढ़ सकता है इनका दायरा
– जिले में हर साल 30 हजार टन से ज्यादा मटर की पैदावार होती है। मात्र एक कम्पनी इसका प्रसंस्करण करती है। इससे यहां का मटर दूसरे राज्यों में चला जाता है। 
– जिले के तालाबों में सिंघाड़ा की खेती होती है। सिहोरा इसका गढ़ है। हर साल 10 हजार टन सिंघाड़ा होता है। यह कच्चा ही देश की दूसरी मंडियों में भेज दिया जाता है। इसका निर्यात भी होता है।
– किसान परंपरागत खेती के साथ सब्जियों पर भी ध्यान दे रहे हैं। टमाटर प्रमुख है। पाटन, सिहोरा, मझौली और शहपुरा क्षेत्र में इसकी खेती होती है।
– हरी मिर्च की खेती भी अब जिले में होने लगी है। मझौली तहसील गढ़ है। कुंडम में कोदो और कुटकी की खेती होती है। वैल्यू एडीशन नहीं होने से कम दाम पर बेच दिया जाता है। 

इनका कहना है
मटर और सिंघाड़ा के लिए देश भर में जबलपुर बड़ी मंडी के रूप में उभरा है। मटर और सिंघाड़ा से कई प्रकार की चीजें बनाई जाती हैं। कंपनियां इकठ्ठा माल खरीदती हैं। पैकेजिंग और तमाम तरह की चीजों के साथ उन्हें कई गुना कीमत पर बेचती हैं।
राज नारायण भारद्वाज, मटर उत्पादक

जबलपुर में कई प्रकार की सब्जियों व जिंस की पैदावार बढ़ी है। इनका वैल्यू एडीशन किया जाए तो किसान की आय कई गुना बढ़ जाएगी। अभी वे कच्चा माल बेच देते हैं। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का लगना जरूरी है।
केके अग्रवाल, अध्यक्ष, भारत कृषक समाज

जिले में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की कमी है। दूर करने के प्रयास के रूप में फूड प्रोसेसिंग इन्क्यूबेशन सेंटर खोला जा रहा है। इसके माध्यम से निवेशकों को यहां बुलाया जाएगा। सेंटर के लिए सर्वे शुरू हो गया है। कंसल्टेंट की रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे एमएसएमई विभाग को भेजा जाएगा।
देवब्रत मिश्रा, महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो