scriptMP के इस शहर में है तंत्र साधना का दुर्लभ स्थान, दीपावली की रात में आते है दुनिया भर के तांत्रिक | siddha tantrik mandir in india siddha laxmi at diwali night | Patrika News

MP के इस शहर में है तंत्र साधना का दुर्लभ स्थान, दीपावली की रात में आते है दुनिया भर के तांत्रिक

locationजबलपुरPublished: Oct 16, 2017 10:37:38 am

Submitted by:

deepankar roy

शहर जब तक दीपों से जगमग होगा उसी वक्त संस्कारधानी के प्रमुख तांत्रिक मठों में विशेष अनुष्ठान

famous tantrik mandir in india

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जबलपुर। दीपावली की रात में जब चारों ओर पटाखों का शोर होगा उसी वक्त शहर के कुछ हिस्सों में सन्नाटे के बीच तंत्र साधना के मंत्र पढ़े जाएंगे। तंत्रिक अमावस्या की आधी रात को सिद्धि के लिए विशेष साधना करते है। लेकिन इस साधना में जगह और तांत्रिक मठों का भी उतना ही महत्व है। जबलपुर में भी दीपावली की रात को प्रमुख तांत्रिक मठों पर विशेष अनुष्ठान होंगे। लेकिन बाजनामठ स्थित तांत्रिक मंदिर में पूजन का अलग महत्व है। इस प्राचीन तांत्रिक मठ पर अपनी साधना सिद्धि के लिए प्रति वर्ष दुनिया भर के तांत्रिक आते है। रहस्मयी जीवन जीने वाले तांत्रिक मठ तक भी बेहद गुप्त मार्ग से पहुंचते है।
अमावस्या पर साधना कर जगाएंगे तंत्र-मंत्र
ब्रह्मपुराण के अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या की रात धन की देवी लक्ष्मी भू लोक पर आती हैं। इस रात की गई साधना को विशेष फलदायी बताया गया है। यही वजह है कि आधी रात को साधना कर साधक तंत्र-मंत्र जगाते हैं। जबकि वैद्य व आयुर्वेद के जानकार औषधि जगाते हैं।
देश में ऐसे सिर्फ 3 मंदिर
सिद्ध तांत्रिकों के मतानुसार बाजनामठ का मंदिर एक ऐसा तांत्रिक मंदिर है जिसकी हर ईंट शुभ नक्षत्र में मंत्रों द्वारा सिद्ध करके जमाई गई है। ऐसे मंदिर पूरे देश में कुल तीन हैं, जिनमें एक बाजनामठ तथा दूसरा काशी और तीसरा महोबा में हैं। बाजनामठ का निर्माण 1520 ईस्वी में राजा संग्राम शाह द्वारा बटुक भैरव मंदिर के नाम से कराया गया था। कहते हैं कि इस मठ के गुंबद में त्रिशूल से निकलने वाली प्राकृतिक ध्वनि-तरंगों से शक्ति जागृत होती है। तंत्र शास्त्र के अनुसार भैरव को जागृत करने के लिए उनका आह्वान तथा स्थापना नौ मुण्डों के आसन पर ही की जाती है। जिसमें सिंह, श्वान, शूकर, भैंस और चार मानव-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इस प्रकार नौ प्राणियों की बली चढ़ाई जाती है। हालांकि समय के साथ यहां बलि प्रथा समाप्त हो चुकी है।
साधना के बड़ा केन्द्र रहा हैं मठ
इतिहासकारों व पुरातत्वविदें के अनुसार तांत्रिक साधना केन्द्र बाजनामठ के अलावा चौसठयोगिनी मंदिर भी तंत्र साधना के बड़े केन्द्र रहे हैं। दोनों मठों को सिद्ध साधना केन्द्र माना जाता है। यहां दूर-दूर से साधक आते हैं। लेकिन लक्ष्मी की उपासना के पर्व का महत्व अलग है। इस दिन प्रति वर्ष दुनियाभर से तांत्रिक-साधक शहर आते है। बाजनामठ के अलावा भेड़ाघाट स्थित गोलकीमठ विश्वविद्यालय के तांत्रिक साधना केन्द्र चौसठयोगिनी मंदिर पहुंचते है।
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