व्यापारियों का कहना है कि इस इ-अनुज्ञा में एक-एक किसान का यूटीआर नंबर मांगा जा रहा है और इसके बाद ही उन्हें गेट पास मिल पा रहे हैं। खरीदे गए अनाज का आरटीजीएस और एनईएफटी से भुगतान करने पर दो-दो दिन में यूटीआर नंबर मिल पा रहा है और जब तक किसानों को हुए भुगतान का यूटीआर नंबर दर्ज नहीं होता, तब तक गेट पास नहीं मिलेगा और व्यापारियों का अनाज मंडी से बाहर नहीं निकल पाएगा। एक अनुमान के मुताबिक पिछले चार दिनों से मंडी में अनाज का क्रय-विक्रय ठप होने से चार लाख से अधिक के राजस्व नुकसान का अनुमान है।
ज्यादा एनईएफटी पर आनाकानी कर रहे बैंक
व्यापारियों का कहना है कि भुगतान के लिए आरटीजीएस और एनईएफटी करने में बैंकों द्वारा आनाकानी की जा रही है। 40-50 से अधिक एनईएफटी पर मना किया जा रहा है। साथ ही भुगतान के प्रत्येक यूटीआर नंबर को मंडी द्वारा वेरीफाई किया जाता है, इससे गेट पास न मिल पाने से माल बाहर नहीं भेज पा रहे हैं। आरटीजीएस से जब तक किसानों के पास पैसा नहीं पहुंच जाता, तब तक यूटीआर नंबर नहीं मिल रहा है। इससे हमारे गेटपास नहीं बन पा रहे हैं। हमारी मांग की है कि गेट पास के लिए यूटीआर नंबर की आवश्यकता समाप्त की जाए।
आरटीजीएस व एनईएफटी से भुगतान होने पर व्यापारी इ-अनुज्ञा पर समस्या बता रहे हैं। व्यापारियों ने लिखित में कुछ समस्याएं दी हैं और निराकरण होने तक नीलामी में शामिल न होने की बात कही है।
अशोक दुबे, सचिव, कृषि उपज मंडी, सिहोरा