ये अफसर और कोई नहीं बल्कि सिहोरा के एसडीएम आशीष पांडेय हैं जिन्हें क्षेत्र का हर बुजुर्ग सम्मान करता है। ऐसा हो भी क्यों न, आखिर इन बुजुर्गो की फरियाद एसडीएम पांडेय की अदालत में प्रमुखता से सुनी जाती है और कोशिश होती है कि अदालत में ही ससम्मान वारा न्यारा हो जाए।
अब इन 76 वर्षीय भूरेलाल चौहान को ही लें, वो बेटे और बहू की अनदेखी से बेहद दुखी थे। ऐसे में वह फरियाद लेकर पहुंचे एसडीएम पांडेय की अदालत में। एसडीएम ने उनका दर्द सुना और बेटे व बहू को कोर्ट में तलब किया। दोनों को इस कदर समझाया कि दोनों को अपनी गलती का एहसास हो गया। फिर क्या था, दोनों ने कोर्ट में पिता के पांव पखारे और अपनी गलती मांनी। पिता ने भी बड़ा दिल दिखाते हुए दोनों को माफ कर दिया। फिर तीनों एक साथ हंसी-खुशी घर को रवाना हुए।
जानकारी के मुताबिक मझौली निवासी भूरेलाल चौहान की शिकायत थी कि उनका बेटा नारायण और बहू लक्ष्मी बुढ़ापे में उनकी सेवा और देखभाल नहीं करते। वे अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं। अपने ही परिवार में वे अलग-थलग पड़ चुके हैं। इस वजह से वे अपने बेटे-बहू को संपत्ति से बेदखल करना चाहते हैं। भूरेलाल की शिकायत पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने केस तैयार कर एसडीएम कोर्ट में लगाया था।
बताया जाता है कि एसडीएम पांडेय इससे पहले 82 साल की बुजुर्ग महिला को तीन दिन में न्याय दिला चुके हैं। महिला बेटे की शिकायत लेकर पहुंची थी। बेटे ने स्कूल पर कब्जा कर लिया था, जबकि इसी स्कूल से उसकी आजीविका चल रही थी। एसडीएम ने बेटे से स्कूल खाली कराते हुए उसे पहली मंजिल पर रहने के लिए कमरा दिलाया।