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झुग्गी मुक्त नहीं हो पा रहा है शहर, मलिन बस्ती उन्मूलन की सुस्त चाल

locationजबलपुरPublished: Jan 19, 2020 01:19:58 pm

Submitted by:

Prabhakar Mishra

झुग्गी मुक्त नहीं हो पा रहा है शहर, मलिन बस्ती उन्मूलन की सुस्त चाल
विस्थापितों के पुनर्वास पर भी करोड़ों खर्च लेकिन ज्यादा नहीं बदली तस्वीर, पुनर्वास स्थलों के आसपास रोजगार, परिवहन का संक ट
फै क्ट फाइल-
-358 स्लम बस्तियां
-324 अधिसूचित स्लम बस्तिया
-268135 लोग स्लम बस्तियों में निवासरत
-34 गैर अधिसूचित स्लम बस्तियां
-79 वार्ड हैं निगम के
-264 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल
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SLUM

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जबलपुर। शहर में अवैध बसाहट थम नहीं रही है। शहर में एक ओर अतिक्रमण हटाने और विस्थापितों के पुनर्वास पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, दूसरी ओर झुग्गियां पनपती जा रही हैं। दरअसल नगर निगम से लेकर जिला प्रशासन का सरकारी जमीनों पर अवैध झुग्गियां पनपने से रोकने की ओर कोई ध्यान नहीं है। सालभर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई होती है, लेकिन झुग्गियों क ो पनपने से रोकने कार्रवाई नहीं की जाती है। यही वजह है कि शहर झुग्गी मुक्त नहीं हो पा रहा है। इतना ही नहीं मलिन बस्ती उन्नमूलन को लेकर भी निगम प्रशासन सुस्ती बरत रहा है। सरकारी आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि शहर में साढ़े तीन सौ से ज्यादा स्लम बस्तियां हैं। जिनमें पेयजल, सफाई, ड्रेनेज से लेकर प्रकाश व्यवस्था चौपट है।
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पुनर्वास स्थलों में भी रोजगार-

परिवहन का संकट-दीनदयाल चौक, बाल सागर, बर्न कं पनी, रेलवे छोटी लाइन के किनारे व मदनमहल पहाड़ी से अब तक बड़ी संख्या में अतिक्रमण हटाए गए हैं। इन स्थानों से दस हजार के लगभग लोगों की नगर के अलग-अलग इलाकों में पुनर्वास की व्यवस्थ्ज्ञा की गई। इनमें से ज्यादातर इलाके ऐसे हैं जो मुख्य शहर से दूर हैं। पुनर्वास व्यवस्था पर निगम से लेकर प्रदेश शासन ने करोड़ों रुपये खर्च किए। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर विस्थापितों के लिए पुनर्वास स्थल के आसपास रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं की गई। इतना ही नहीं ज्यादातर पुनर्वास स्थलों से शहर को सीधे जोडऩे विस्थापितों के लिए परिवहन के भी उपयुक्त इंतजाम नहीं किए गए।
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किश्तों में अटका है आशियाने का सपना-

मदनमहल पहाड़ी से विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास स्थल तिलहरी में अभी भी सैकड़ों परिवारों के आशियाने का सपना अटका हुआ है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इन परिवारों में से ज्यादातर को 1 या 2 किश्त मिली हैं। इसी तरह से बड़ी संख्या में परिवार ऐसे हैं जिनके पुनर्वास की व्यवस्था तेवर में की जा रही है। दोनों ही स्थलों में अभी तक लोगों को रोजगार से जोडऩे की पहल नहीं की गई। उनके परिवहन के भी उपयुक्त इंतजाम नहीं किए गए।
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पुनर्वास स्थलों में खर्च की गई राशि-तिलहरी पुनर्वास स्थल-

-1.02 करोड़ रुपये जलप्रदाय के लिए(ट्यूबवेल खनन, मोटर पंप व हैंड पंप स्थापना, पाइप लाइन विस्तार पर)

-1.87 करोड़ रुपये से(ट्रांसपोर्ट स्थापना, पोल लगाने व विद्युत लाइन विस्तार )
-6.78 करोड़ रुपये सड़क, नाली व पुलिया निर्माण पर खर्च

-0.32 लाख ़ रुपये 4 आंगनबाड़ी भवन निर्माण पर खर्च

-0.70 लाख रुपये पब्लिक टॉयलेट निर्माण पर खर्च

-10.68 करोड़ रुपये कुल खर्च राशि
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तेवर पुनर्वास स्थल-प्रस्तावित खर्च-

-4 करोड़ रुपये पानी व बिजली व्यवस्था पर

-8 करोड़ रुपये सीमेंटेड सड़कों के निर्माण पर

-5 करोड़ नालियों/पुलिया निर्माण पर अनुमानित

-1 करोड़ शौचालय निर्माण पर
-4 करोड़ आंगनबाड़ी, सामुदायिक भवन, स्कूल भवन, पुलिस चौकी, चिकित्सालय

-22 करोड़ रुपये अनुमानित कुल खर्च

-30 लाख रुपये अभी तक हुए खर्च-

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पुनर्वास स्थल ललपुर-प्रभात नगर में पिछले सालों में हुए काम-
-13 करोड़ के लगभग खर्च

-सड़क निर्माण-पेय जल व्यवस्था

-शौचालय व्यवस्था

-स्कूल, आंगनबाड़ी, सामुदायिक भवन व अन्य कार्य

-नाली-पुलिया निर्माण-बिजली व्यवस्था

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वर्जन-झुग्गी बस्ती उन्मूलन और सभी पात्र परिवारों को आवास योजना का लाभ दिलाने के लिए काम किया जा रहा है। पुनर्वास स्थलों में भी इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का काम किया गया है, अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं भी की जाएंगी। आशीष कुमार, आयुक्त नगर निगम
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