बता दें कि आयुर्विज्ञान महाविद्यालय व चिकित्सालय से शाहनाला होते तिलवारा तक की सड़क का यही है। इस मार्ग पर चलना यानी मुसीबत को दावत देने सरीखा है। वाहन चाहे दो पहिया हो या चार पहिया हिचकोले खा-खा के वह भी बर्बाद हो रहे हैं। ऐसा नहीं कि इस सड़क की ये दुर्दशा हाल में हुई हो, लंबे अरसे से यही हाल है इस मार्ग का। हाल ये है कि मेडिकल गेट के सामने से मेडिकल तिराहे की सीमा तक तो सड़क पूरी तरह से गायब हो चुकी है। अगर ये कहा जाए कि सड़क चलने लायक ही नहीं तो गलत नहीं होगा।
आईसीएमआर के सामने से मेडिकल गेट और अस्पताल गेट के सामने से फिर तिराहे तक का हिस्सा तो एक दशक से अधिक समय से खस्ताहाल है। इस हिस्से से जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी, नगर निगम के ऐसे जिम्मेदार अधिकारी जिनको सड़क बनाने का ही जिम्मा है, वे सब गुजरते हैं पर सड़क की चिंता किसी को नहीं। आलम यह है कि इस अस्पताल में आने वाले मरीजों का बुरा हाल हो जाता है। एम्बुलेंस में यहां से गुजरते वक्त वो दर्द से चिल्ला उठते हैं, लेकिन इससे जिम्मेदारों पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
उधर शाहनाला से तिलवारा तक की सड़क की ऊपरी सतह पूरी तरह उखड़ चुकी है। इस सड़क की गिट्टियां बिखर गई हैं। डामर पूरी तरह से गायब हो चुका है। शाहनाला ब्रिज के पास तो इसमें गड्ढे ही गड्ढे हैं। सड़क के इस हिस्से को 5 साल पहले बनाया गया था। उसके बाद से मरम्मत की ओर किसी का ध्यान नहीं गया।
सड़क में तकलीफदेय हालातों को लेकर नगर निगम लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बारिश के बाद इस मार्ग का दूसरा हिस्सा बनाया जाएगा। शाहनाला से तिलवारा तक मार्ग की जहां तक बात है तो इस एरिया में अभी डामरीकरण का प्लान नहीं है।