ऐसा माना जाता है कि जिस घर में सर्पगंधा का पौधा लगा होता है, वहां पर सर्प या अन्य जहरीले जंतु नहीं रहते हैं। इसलिए आप भी इस औषधीय गुणों से भरपूर पौधे को घर पर लगाकर जहरीले जीवों घर में प्रवेश करने से रोक सकते हैं। सर्पगंधा वही पौधा है जिसका सेवन कर नेवला विषैले सर्प के काटे जाने पर भी अपने प्राणों की रक्षा कर लेता है। सर्पदंश के दुष्प्रभाव को सर्पगंधा का पौधा कम करता है। सर्पगंधा की जड़ों के पाउडर को काली मिर्च पाउडर के साथ मिलाकर पीने से सांप के जहर का असर कम हो जाता है।
सर्पगंधा के पौधे का वर्णन चरक (1000-800 ई0 पू0) ने संस्कृत नाम सर्पगंधा के तहत सर्पदंश तथा कीटदंश के उपचार के लिए विषनाशक के रूप में किया है। चरक संहिता के अनुसार सर्पदंश में सर्पगंधा की ताजी पिसी पत्तियों को पांव के तलवों पर लगाने से राहत मिलती है। इस वनस्पिति के सर्पगंधा नाम के पीछे ऐसा मत है कि इस वनस्पति का नाम सर्पगंधा इसलिए पड़ा क्योंकि सर्प इस वनस्पति की गंध से दूर भाग जाते हैं। वहीं इसके नाम के पीछे दूसरा मत यह है कि सर्पगंधा की जड़ें सर्प की तरह लम्बी तथा टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं इसलिए इसका नाम सर्पगंधा पड़ा है, लेकिन उक्त दोनों मत तथ्यहीन हैं। पौधे का नाम सर्पगंधा इसलिए पड़ा है, क्योंकि प्राचीन काल में इसका उपयोग सर्पदंश के उपचार में विषनाशक के रूप में होता था।
सर्पगंधा एक सदाबहार पौधा होता है, जिसकी जड़ें पीले, भूरे रंग की होती है। इसकी पत्तियां चमकीले हरे रंग की होती है जो की 3-3 के जोड़े में होती है। इसके फूल सफेद और बैंगनी रंग के होते हैं। इसमें मौजूद एल्केनोइड्स इसे स्वास्थ्य के लिए उपयोगी बनाते हैं। कई मानसिक और शारीरिक समस्याओं के निदान के लिए सर्पगंधा का सेवन उपयोगी रहता है।
नींद अच्छी आती है
सर्पगंधा में हिप्नोटिक गुण होते हैं जो कि नींद दिलाने में लाभकारी होता है। इसकी जड़ों का पाउडर बनाकर इस्तेमाल किया जाता है। रात को सोने से दो घंटे पहले सर्पगंधा के पाउडर को अजवाइन के साथ मिलाकर इसमें थोड़ा सा मिश्री पाउडर मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से नींद अच्छी आती है।