जबलपुर। सरकारी स्कूलों में नया शिक्षण सत्र एक अप्रैल से शुरू हो चुका है, लेकिन जिले के एक लाख से अधिक छात्रों के हाथों में किताबें नहीं पहुंची हैं। स्कूलों में पढ़ाई ठप है। अफसरशाही के चलते इस वर्ष किताबों का वितरण न होने से शिक्षक पढ़ाई नहीं करवा पा रहे हैं। कक्षाएं खानापूर्ति के लिए लग रहीं हैं। कक्षा पहली से बारहवीं तक में यह स्थिति है। शिक्षा विभाग के अधिकारी गैर जिम्मेदाराना रवैया अपना रहे हैं। विदित हो कि कक्षा 1 से लेकर 8 तक में करीब 1.25 लाख छात्र अध्ययनरत हैं। नौ से 12 तक करीब 30 हजार छात्र अध्ययनरत हैं।
ज्वॉयफुल लर्निंग किट भी नहीं
इन दिनों ज्वॉयफुल लर्निंग कान्सेप्ट के तहत स्कूल लगाए जा रहे हैं। जबकि, ज्वॉयफुल लर्निंग की किट भी स्कूलों में नहीं है। प्रदेशभर के स्कूलों के लिए 5 करोड 90 लाख किताबें छापनी है, लेकिन अभी तक सभी विषयों की किताबें नहीं छप पाई हैं। जो किताबें छपी हैं वे जिले और ब्लॉक स्तर पर नहीं पहुंचाई गई हैं।
बच्चों से मंगवाओ पुरानी किताबें
स्कूलों में छात्र-छात्राओं से पुरानी किताबें वापस करवाने के आदेश दिए गए हैं। बारहवीं की परीक्षा दे चुके बच्चे अवकाश पर हंै तो वहीं हाईस्कूल और हायर सेकंडरी कक्षाओं में बच्चों से पुरानी किताबें मंगवाई जा रही हैं, लेकिन उनके भी स्कूल न आने के कारण किताबें नहीं पहुंच सकी हैं।
12 लाख से अधिक चाहिए किताबें
जिले में करीब 12 लाख किताबों की जरूरत है। वहीं करीब 50 हजार किताबें अनुदान प्राप्त मदरसों के लिए भी दी जानी हैं। यदि किताबें आ भी जाती हैं तो विभाग के पास इन्हें स्टोर करने में दिक्कतें होंगी। क्योंकि कई स्कूलों में मतदान केंद्र बनने से विषम परिस्थितियां हैं।
पाठय पुस्तक निगम से किताबों की आपूर्ति की जाती है। किताबें भेजी जा रही हैं, जिन्हें जल्द वितरित कराया जाएगा। चुनाव के चलते मतदान केंद्र बनने से वितरण में कुछ व्यवहारिक दिक्कतें आ रहीं हैं। वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर हल निकाला जा रहा है।
– अंजनी सेलट, ब्लॉक एजुकेशन ऑफीसर