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सोलर पार्क बने 17 महीने बीते, बिजली का उत्पादन नहीं

locationजबलपुरPublished: Oct 25, 2019 01:01:57 pm

Submitted by:

gyani rajak

श्री पाटबाबा सोलर पार्क : सस्ती बिजली से महरूम जीसीएफ, बीईएल को करोड़ों का घाटा
 

solar park

The production and distribution of electricity has not started even 17 months after the inauguration of Sri Patababa Solar Park. This has led to a loss of crores of rupees to manufacturing agency Bharat Electronics Limited (BEL) and major consumer gun carriage factory (GCF).

जबलपुर @ ज्ञानी रजक. श्री पाटबाबा सोलर पार्क के उद्घाटन के 17 महीने बाद भी बिजली का उत्पादन और वितरण शुरू नहीं हो सका है। इससे निर्माण एजेंसी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और प्रमुख उपभोक्ता गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। 50 करोड़ से ज्यादा की लागत वाले इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन जून 2018 में हुआ था। अब तक बिजली का उत्पादन नहीं होने से जीसीएफ सस्ती बिजली से महरूम है। जीसीएफ की तरह वीएफजे इस्टेट में भी इतनी ही लागत और क्षेत्रफल में 10 मेगावॉट क्षमता का सोलर पार्क स्थापित हो रहा है।
11 मेगावॉट है क्षमता
जीसीएफ इस्टेट में पाटबाबा मंदिर पहाड़ी पर 10 मेगावॉट क्षमता वाले सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट का उद्घाटन ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन एसके चौरसिया ने किया था। उस समय माना जा रहा था कि जल्द ही बिजली उत्पादन शुरू होगा। लेकिन 17 माह बाद भी उत्पादन शुरू नहीं हो सका है। जीसीएफ प्रशासन ने ट्रांसमिशन लाइन को अंडरग्राउंड करने का जिम्मा बीईएल को दिया है, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है।
छह करोड़ से अधिक का नुकसान

सोलर पार्क से जीसीएफ को 25 साल तक 4.76 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलनी है। फैक्ट्री के तत्कालीन वरिष्ठ महाप्रबंधक एसपी सिंह ने बताया था कि जीसीएफ को हर महीने 1.10 करोड़ रुपए बिजली बिल चुकाना पड़ता है। सोलर पार्क से सस्ती बिजली मिलने पर फैक्ट्री को हर माह 30-40 लाख रुपए की बचत होगी। इस हिसाब से अब तक जीसीएफ प्रशासन 18.70 करोड़ रुपए बिजली बिल दे चुका है। यदि फैक्ट्री को कम दर पर बिजली मिलती तो 12 करोड़ रुपए ही चुकाने पड़ते। अर्थात् छह करोड़ रुपए की बचत हो सकती थी। उत्पादन शुरू होने से बीईएल को भी फायदा होता। क्योंकि, जरूरत की बिजली फैक्ट्री को देने के बाद शेष बिजली वह बाजार दर पर शासन को देता।
सोलर पार्क जैसे वृहद प्रोजेक्ट के लिए कई प्रकार की अनुमति लेनी पड़ती है। ग्रिड से ट्रांसमिशन लाइन जोडऩे की अनुमति लेने और अंडरग्राउंड केबल डालने में समय लगा। अनुमति मिल गई है। केबल का काम भी पूर्णता की ओर है। जल्द ही बिजली उत्पादन और वितरण शुरू होगा।
हेमंत साहू, प्रोजेक्ट मैनेजर, बीईएल

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