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खुलकर बोले छात्र..अब और नहीं सहेंगे भ्रष्टाचार, नौकरियां में सिलेक्शन हो फेयर

locationजबलपुरPublished: Apr 05, 2019 12:55:25 pm

Submitted by:

Mayank Kumar Sahu

पत्रिका मुद्दा: शहर में ही बढ़ाएं जाएं राजगोर के अवसर, छात्रों ने बेबाकी से रखे बयान, भष्ट्रचार और पेसों के बल पर नौकरियां पा जाते अनटैलेंटड युवा
 

खुलकर बोले छात्र..अब और नहीं सहेंगे भ्रष्टाचार, नौकरियां में सिलेक्शन हो फेयर

खुलकर बोले छात्र..अब और नहीं सहेंगे भ्रष्टाचार, नौकरियां में सिलेक्शन हो फेयर

जबलपुर।

भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे, नौकरियों में सिलेक्शन फेयर हो। शहर ही में रोजगार के साधनों को उपलब्ध कराया जाए ताकि युवा अपने पैरों पर खड़े हो सकें। शहर के विकास और शिक्षण संस्थाओं को बेहतर बनाने सरकार नेता, प्रशासन भूमिका का निर्वाह करे। कुछ एेसे ही विचार पत्रिका मुद्दा के माध्यम से युवाओं ने रखे। छात्र गौरव चोटपगार ने कहा कि कोई बच्चा एक से लेकर १२वीं तक पढ़ता है। वह लर्निंग स्टेज पर होता है। स्कूल स्तर पर ही उनको गाइडेंस मिलना चाहिए कि वह किस दिशा में आगे बढ़े। जिस विषय में उसकी रुचि हो इस दिशा में शिक्षण संस्थाओं में प्रयास करना चाहिए। इसके अनुसार बच्चों को मोटिवेट किया जाए।
भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी हो बंद

रिया सागर की पीढ़ा व्यक्त करते हुए कहा कि आज बेरोजगारी की बड़ी समस्या है। पढ़े लिखे युवाओं को आज रोजगार नहीं मिल रहा है। जब अनटैलेंटड युवा भष्ट्रचार और पेसों के बल पर नौकरियां पा जाते हैं। एेसे में जो लोग कुर्सियों पर बैठते हैं वह आने वाली पीढ़ी को भी कुछ नहीं सिखा पाते क्योंकि वे खुद उस लेवल के नहीं होते। चाहे सरकारी सेक्टर हो या फिर प्राइवेट सेक्टर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी पर अंकुश लगाए जाए नौकरियों में फेयर सिलेक्शन हो ताकि योग्य युवा रोजगार पा सके। बेरोजगारी के चलते युवा टयूशन खोलने विवश होते हैं।
शहर में आए मल्टीनेशनल कपंनियां

नेहा रावतेल, नेहा बैन ने कहा कि आज शहर का युवा एजुकेटेड है लेकिन उसके पास रोजगार नहीं है। जिसकी एक बड़ी वजह शहर में मल्टीनेशनल कंपनियों का न होना है। परिवारिक हालातों के चलते युवा शहर से बाहर नहीं जा पाता एेसे में आवश्यकता है कि शहर में ही टीसीएस, विप्रो जैसी कपंनियों के आउटलेट आएं। इस दिशा में सरकार जनप्रतिनिधियों को भी ध्यान देने की जरूरत है।उ
च्च शिक्षण संस्थान आए शहर

आराधना सूर्यवंशी कहती हैं कि स्टडी के मामले शहर तो अच्छा है लेकिन कोचिंग के उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी है। युवाओं को कोटा, इंदौर जैसे शहारों की ओर कोचिंग संस्थानों की आेर रुख करना पड़ता है। कई युवा आर्थिक कारणों के चलते नहीं जा पाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि एेसे शिक्षण और पर्सनालिटी डिवल्पमेंट से जुड़े संस्थान शहर में आएं।
विदेश जाकर दूसरे देशों का विकास

अपूर्व अंथोनी की नाराजगी है कि भारत में ही अच्छे जॉब अपारच्यूनिटी मिले। आज युवा विदेशों में जाकर जॉब कर रहे हैं। इससे दूसरे देशों का विकास भी अपनी भूमिका अदा कर रहें है जरूरत है कि युवा देश में ही रहकर जॉब करें ताकि देश का भी विकास हो सके। सरकार को इस दिशा में प्रयास करने की जरूरत है। सोमन दत्त का कहना है कि शिक्षण संस्थाओं में अच्छी फैकेल्टी न होने के कारण छात्रों को टयूशन, कोचिंग संस्थानों का सहारा लेना पड़ता है।
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