scriptखास खबर: चूड़ी-चप्पल कांड में 28 साल पहले आया था हिन्दी में फैसला | Special News : Madhya Pradesh High Court | Patrika News

खास खबर: चूड़ी-चप्पल कांड में 28 साल पहले आया था हिन्दी में फैसला

locationजबलपुरPublished: Jul 07, 2019 01:40:26 am

Submitted by:

reetesh pyasi

1975 से लगातार हिन्दी में फैसले देते आ रहे हाईकोर्ट के जज

MP Highcourt

MP Highcourt

जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले अंग्रेजी के साथ राजभाषा हिन्दी और छह क्षेत्रीय भाषाओं में देने का निर्णय किया है, जो इस माह के अंत तक लागू होगा। मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस व अन्य जज 1975 से ही अंग्रेजी के साथ हिन्दी में भी फैसले देते आ रहे हैं। 1991 में विधानसभा में हुए बहुचर्चित चूड़ी-चप्पल कांड के खिलाफ जनहित याचिका पर मप्र हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एसके झा ने अपना फैसला हिन्दी में देकर प्रतिमान रचा था।
पुरानी परम्परा
हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस शिवदयाल श्रीवास्तव हिन्दी के उद्भट विद्वान थे। उन्होंने सबसे पहले अपनी सिंगल बेंच के मामलों में हिन्दी में फैसले देना शुरू किया। इसके बाद पूर्व चीफ जस्टिस जीएल ओझा, पूर्व चीफ जस्टिस एसके झा ने भी इस परम्परा को जीवित रखा। ये दोनों अपने सहयोगियों को भी हिन्दी में काम करने के लिए प्रेरित करते रहते थे। पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश डीपीएस चौहान भी सिंगल बेंच के अधिकतर फैसले हिन्दी में भी देते थे। उनके बाद हिमाचल प्रदेश के पूर्व चीफ जस्टिस गुलाब गुप्ता ने मप्र हाईकोर्ट में बतौर न्यायाधीश अपनी सेवाओं के दौरान हिन्दी में कई फैसले दिए। जस्टिस आरसी मिश्रा के कोर्ट रूम में तो पूरी बहस व काम हिन्दी में ही होता था।

80 फीसदी कामकाज अभी भी हिन्दी में
मप्र हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर में पदस्थ सभी जजों की कोर्ट रूम की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। इसके बावजूद अधिकतर जज व वकील कोर्ट रूम में हिन्दी का ही वर्चस्व कायम है। पूर्व जजों की परम्परा को कायम रखते हुए वर्तमान न्यायाधीश भी हिन्दी में बहस को वरीयता देते हैं। कोर्ट, रजिस्ट्री व लेखा जोखा का करीब अस्सी फीसदी कामकाज अभी भी हिन्दी में ही होता है।

ये है चूड़ी-चप्पल कांड
1991 में मप्र विधानसभा में जबलपुर जिले के पाटन की तत्कालीन विधायक कल्याणी पांडे ने भाजपा विधायक गोपाल भार्गव को चूडिय़ां भेंट कीं। इस पर दो दिन विधानसभा में हंगामा हुआ। इस दौरान कथित रूप से चप्पलें व कुर्सियां भी चलीं। यह घटना चूड़ी-चप्पल कांड के नाम से प्रसिद्ध हुई थी। इसी घटना के खिलाफ अधिवक्ता शीतला प्रसाद त्रिपाठी ने याचिका दायर कर सभी विधायकों को विक्षिप्त घोषित करने की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने अपने फैसले में याचिकाकर्ता को चुनाव आयोग के समक्ष जाने की राय
दी थी।
11 साल पहले हिन्दी बनी दूसरी आधिकारिक भाषा
हाईकोर्ट में हिन्दी भाषा को अधिकारिक राजभाषा का सम्मान दिलाने के लिए 1990 से संघर्षरत अधिवक्ता शीतला प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि उन्होंने इसके लिए लम्बी लड़ाई लड़ी। अंतत: मप्र हाईकोर्ट ने उनकी बात मानी। 2008 में मप्र हाईकोर्ट रूल्स में संशोधन किया गया व विधिवत हिन्दी को हाईकोर्ट की दूसरी आधिकारिक राजभाषा का दर्जा दिया गया।
इन जजों ने दिए हिन्दी में फैसले
पूर्व चीफ जस्टिस शिवदयाल श्रीवास्तव-11 अक्टूबर 1975 से 28 फरवरी 1978
पूर्व चीफ जस्टिस जीएल ओझा-1 दिसम्बर 1984 से 27 अक्टूबर 1985
पूर्व चीफ जस्टिस एसके झा-27 अक्टूबर 1989 से 15 दिसम्बर 1993
पूर्व एक्टिंग चीफ जस्टिस डीपीएस चौहान-23 अप्रैल 1994 से 25 मार्च 2000
जस्टिस गुलाब गुप्ता-20 मई 1983 से 23 अप्रैल 1994
जस्टिस आरसी मिश्रा-11 सितम्बर 2006 से 3 जून 2013
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो