पास जाना भी खतरनाक
वर्ष 1997 से लगातार 21 साल तक शहर भर का कचरा यहां निगम द्वारा डम्प किया गया। यह कचरा अब इतना घातक हो गया है कि इसके सम्पर्क में आना खुद को खतरे में डालने से कम नहीं। कचरे में लेड, जिंक, कोबाल्ट सहित अन्य खतरनाक रसायन मौजूद हैं। तेज हवा चलने पर उडऩे वाली कचरे की डस्ट भी स्वास्थ्य के लिए घातक है। वहीं बारिश में रिसकर जमीन के भीतर जाने वाले कचरे के जहर से दूषित हुए भू-जल के कारण आसपास के लोग त्वचा रोग, उल्टी-दस्त, पीलिया, हाईपरटेंशन सहित अन्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
जबरिया हुई कचरा डम्पिंग
शासन ने रानीताल खेल परिसर बनाने के लिए खेल विभाग को वर्ष १९९० में ६९.१९ एकड़ भूमि आवंटित की थी। यहां खेल विभाग के विरोध के बावजूद निगम ने कचरा परिवहन करने वाले ठेकेदार को फायदा पहुंचाने जबरन कचरा डम्पिंग शुरू करा दी। खेल विभाग के कई पत्र निगम ने कचरे की टोकरी में डाल दिए गए। खेल विभाग द्वारा एफआईआर कराने की चेतावनी भी दी, लेकिन उसकी भी परवाह नहीं की गई।
एक लाख लीटर पानी में 1.85 लाख वैक्टेरिया
बारिश में बहकर कचरे के पहाड़ से सटे रानीताल तालाब में पहुंचे खतरनाक रसायन ने तालाब के पानी को जहरीला बना दिया है। तालाब में अरबों वैक्टेरिया पैदा हो गए है। मछलियां गायब हो गई है। पानी अत्यधिक घातक हो गया है। एक साल पहले ही जांच में ही तालाब के एक लीटर पानी में एक लाख 85 हजार वैक्टेरिया पाए गए थे। पानी में नाइट्रेट एक लीटर में 10 ग्राम से बढ़कर 45 ग्राम हो गया है। बीओडी 90 के स्तर पर है, डिसाल्व ऑक्सीजन प्रति ग्राम 8 के मानक की जगह 3 पर है।
ऐसे है स्थिति
21 साल पहले कचरा डम्पिंग हुई शुरू
14 साल तक लगातार रानीताल में डाला कचरा
१६ एकड़ जमीन को बना दिया कचरे का पहाड़
2011 में भारी विरोध के चलते बंद हुई कचरा डम्पिंग
कचरे का पहाड़ बनी जमीन पर क्रिकेट-फुटबाल खेलते थे युवा
दंगल का भी होता था आयोजन
खेल विभाग ने समर कैंप भी लगाया था
ये घातक परिणाम
आसपास का भू-जल हो गया दूषित
वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर
रानीताल तालाब का पानी हुआ जहरीला
कचरे में दफन है लेड, जिंक, कोबाल्ट जैसे खतरनाक रसायन
हैंडपंप- बोरिंग में आता है दूषित जल
समीपी बस्ती में उल्टी-दस्त, पीलिया, हाईपरटेंशन की लगातार शिकायत
कचरे की डस्ट से श्वांस सम्बंधी समस्या से घिर रहे लोग
ये कहते है जिम्मेदार
रिटायर्ड खेल अधिकारी अशोक चंद्रा के अनुसार नगर निगम ने जबरन कचरा डम्पिंग शुरू कर दी थी। इसका विरोध किया गया, लेकिन उसका असर नहीं हुआ। जहां कचरे का पहाड़ है, वहां मैदान था, दंगल होता था। क्रिकेट, फुटबाल खेला जाता था, लेकिन खेल परिसर की तस्वीर ही बिगाड़ दी गई।
मप्र प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसएन द्विवेदी के अनुसार नगर निगम को पत्र लिखकर रानीताल स्थित कचरे को व्यवस्थित करने को कहा गया था। जहां भी कचरा डम्पिंग होती, वहां एेसी ही स्थिति निर्मित होती।
नगर निगम के कार्यपालन यंत्री कमलेश श्रीवास्तव के अनुसार रानीताल में १६ एकड़ जमीन पर कचरा डम्प है। यहां कचरे की मात्रा आंकी गई है, जो कि एक लाख 40 हजार टन के लगभग है।