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खेलसंघों में वर्षों से जमे नेता, अफसरों पर सरकार की पैनी नजर

locationजबलपुरPublished: Feb 04, 2019 01:59:24 am

Submitted by:

reetesh pyasi

सरकारी कर्मी, पदाधिकारियों को हटाने की मुहिम शुरू

Kabaddi Sports Competition

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जबलपुर। प्रदेश के खेल संघों में पदाधिकारियों के रूप में बरसों से जमे सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों व पूर्व सत्ताधारी दल व उसके समर्थित नेताओं का ‘खेल’ बिगड़ता नजर आ रहा है। केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर की ओर से खेलों में पारदर्शिता लाने के लिए सभी प्रदेशों को स्पोट्र्स क ोड लागू करने के लिए लिखे गए पत्र व खेल संघों के मान्यता नियम 2012 को लागू कराने पर मप्र सरकार ने ठोस कार्रवाई का मंसूबा बनाया है। यह कोड लागू होने पर कई खेल संघों के पदाधिकारियों को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ सकता है।

उठेगा राजनीतिक कदम
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के कई खेल संघों में पिछली सरकार के समय से ही पदस्थ भाजपा नेताओं को हटाने की राजनीतिक योजना बनाई जा चुकी है। इन संघों की कार्यकारिणी कभी भी भंगकर नई कार्यकारिणी के चुनाव कराए जा सकते हैं। एक उच्च अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि ऐसे नेताओं को चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं।

15 से अधिक इकाइयां नहीं
नियमों के तहत खेल संघों की मान्यता के लिए प्रदेश में उनकी कम से कम 33 प्रतिशत इकाइयां कार्यरत होनी चाहिए। लेकिन, वस्तुस्थिति यह है कि एक-दो को छोडकऱ अधिकतर संघों की 15 से अधिक जिला इकाइयां कार्यरत नहीं है। जबकि, कम से कम 18 जिला इकाइयां सक्रिय होना आवश्यक है।
यह है स्पोट्र्स कोड
सरकारी कर्मी चार साल से अधिक अरसे तक खेल संघ के पदाधिकारी नहीं रह सकेंगे।
70 साल से अधिक आयु के व्यक्ति नहीं बनेंगे पदाधिकारी
एक व्यक्ति एक खेलसंघ में अधिकतम तीन बार ही पद धारण कर सकेगा।
एक व्यक्ति सचिव व कोषाध्यक्ष पद पर लगातार दो बार ही नियुक्त हो सकेगा।
इसके बाद पुन: निर्वाचित होने के लिए ‘कूलिंग ऑफ’ (नया पद ग्रहण करने के पहले का अंतराल) जरूरी है।
केंद्र व राज्य सरकारों के अधीन खेल विभाग व इसके प्रशासकीय नियंत्रण वाले निगमों, इकाइयों, संगठन के अधिकारी व कर्मचारी खेल संघों में निर्वाचित नहीं हो सकेंगे।
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