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स्टेट नीट काउंसिलिंग: 7 दिन में दूर नहीं हुई खामी, च्वॉइस फिलिंग रुकी

locationजबलपुरPublished: Sep 16, 2019 01:22:45 am

Submitted by:

reetesh pyasi

होम्योपैथी, आयुर्वेद सहित अन्य आयुष पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया का मामला

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जबलपुर। प्रदेश में आयुष कॉलेजों की पहले दौर की प्रवेश प्रक्रिया के बाद रोकी गई काउंसिलिंग की तकनीकी खामी सात दिन बाद भी दूर नहीं हो सकी। सत्र 2019-20 में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयुष विभाग ने पिछले महीने स्टेट नीट काउंसिलिंग शुरू की थी। पहले दौर की प्रक्रिया के बाद दूसरे दौर के लिए खाली सीटों की जानकारी नौ सितम्बर को प्रदर्शित होनी थी। उस दिन विभाग ने पोर्टल पर काउंसिलिंग प्रक्रिया तकनीकी कारणों से रोकने की सूचना जारी कर दी। करीब एक सप्ताह बाद भी विभाग तकनीकी खामी दूर नहीं कर पाया है। ज्यादा वक्त बीतने से प्रवेश के इच्छुक छात्र-छात्राएं असमंजस में हैं।

छात्र-छात्राएं असमंजस में
स्टेट नीट काउंसिलिंग को तकनीकी खामी का हवाला देकर रोकने और वजह स्पष्ट नहीं होने से छात्र-छात्राएं असमंजस में हैं। पहले दौर के बाद खाली सीटों की जानकारी नहीं मिलने से प्रवेश को लेकर परेशान हैं। काउंसिलिंग में देरी से कई छात्र-छात्राएं दूसरे प्रदेश का रुख कर रहे हैं। पिछले साल भी काउंसिलिंग में देरी के कारण आयुष कॉलेजों में बड़ी संख्या में सीटें खाली रह गई थीं। इस बार भी विलम्ब होने से सीटें खाली रहने का संकट मंडरा रहा है।

इन कॉलेजों में मिलेगा प्रवेश– होम्योपैथी, आयुर्वेद यूनानी, नैचुरोपैथी
निजी कॉलेजों की स्थिति खराब
स्टेट नीट काउंसिलिंग के पहले दौर की प्रक्रिया में ज्यादातर छात्र-छात्राओं ने प्रवेश के लिए सरकारी आयुष कॉलेजों को वरीयता दी है। निजी कॉलेजों की 70 फीसदी से ज्यादा सीटें पहले दौर में आवंटित नहीं हुई हैं। प्रवेश प्रक्रिया अचानक रोके जाने से निजी कॉलेज संचालक परेशान हैं। शहर में चार आयुष कॉलेज हैं। ग्वारीघाट स्थित शासकीय आयुर्वेद कॉलेज में पहले दौर में 50 फीसदी से ज्यादा सीटें आवंटित हुई हैं, लेकिन निजी कॉलेजों में इक्का-दुक्का सीटों पर ही प्रवेश हुए हैं।
काउंसिलिंग की तकनीकी समस्या को शीघ्र दूर किया जाना चाहिए। यदि यही स्थिति रही तो काउंसिलिंग के आगे के चरण प्रभावित होंगे। असमंजस की स्थिति में कई छात्र दूसरे प्रदेश में प्रवेश के लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्हें सीटें उपलब्ध होते हुए भी प्रदेश में पढऩे का मौका नहीं मिल सकेगा।
डॉ. राकेश पांडे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आयुष मेडिकल एसोसिएशन
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