जबलपुर से सौतेला व्यवहार, एमपी हाईकोर्ट नाराज
जबलपुरPublished: Nov 23, 2019 09:17:51 pm
– मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एके मित्तल ने शुक्रवार को इस बात का एहसास दिलाया कि वे शहर का दर्द समझते हैं। सीजे ने कहा-जबलपुर से सौतेला व्यवहार नहीं होना चाहिए
जबलपुर। तल्ख लहजे में टिप्पणी कर चीफ जस्टिस मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कहा, ‘मध्यप्रदेश में जबलपुर के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। इस शहर को इसकी जगह मिलनी चाहिए। भोपाल और इंदौर में जिस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा हो रहा है, वैसा इंफ्रास्ट्रक्चर जबलपुर में भी खड़ा करना सरकार की जिम्मेदारी है।’ बेंच ने नगर निगम को सीवर लाइन, हर घर में बायो टॉयलेट व वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के बारे मे 16 दिसंबर तक रिपोर्ट व एक्शन प्लान पेश करने को कहा है। यह है मामला मप्र हाईकोर्ट ने जबलपुर नगर निगम द्वारा बनाई जा रही सीवर लाइन का काम बरसों से अधूरा पड़ा होने के चलते शहर में जलभराव के मसले पर स्वत: संज्ञान लेकर 20 सितंबर 2017 को यह याचिका दायर की। कांग्रेस नेता सौरभ शर्मा ने भी इसी मसले पर 2019 में याचिका दायर की। दोनों की सुनवाई एक साथ की जा रही है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि शहर में सीवर लाइन का काम कहीं भी पूरा नहीं हुआ है। इसके चलते शहर की जल निकासी व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो चुकी है। जरा सी बरसात में ही शहर की सड़कें चलने योग्य नहीं रह जातीं। जनजीवन अस्तव्यस्त हो जाता है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से नाखुशकोर्ट ने मामले की पूर्व सुनवाई पर कहा था कि पूरे शहर में उन स्थानों पर बायो टॉयलेट टायलेट लगाए जाने चाहिए, जहां शौचालय की सुविधा न हो। निगम को इसके लिए कार्ययोजना बना कर पेश करने के निर्देश दिए गए थे। यह भी बताने को कहा गया था कि नगरीय सीमा में कहां-कहां बायो टॉयलेट व वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए हैं। शुक्रवार को नगर निगम की ओर से अधिवक्ता अंशुमन सिंह ने स्टेटस रिपोर्ट पेश कर बताया कि सीवर लाइन का काम जारी है। अभी पूरा नहीं हुआ। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में भी कार्य किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने असंतोष जताया। कोर्ट ने नगर निगम को फिर से स्टेटस रिपोर्ट व उक्त सभी बिंदुओं पर आगामी कार्रवाई की ठोस कार्ययोजना पेश करने को कहा है।