गवर्मेंट डॉक्टर्स की प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगेगी रोक !
जबलपुरPublished: Aug 13, 2018 01:38:30 am
सशर्त सातवें वेतनमान के प्रस्ताव के बाद बनी बैकफुट की स्थित
जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेज में पदस्थ डॉक्टर्स की प्राइवेट प्रैक्टिस पर नकेल कसना तय हो गया है। सातवां वेतनमान लागू होने के साथ ही मेडिकल के डॉक्टर्स के सेवा शर्तों में बड़े बदलाव हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नए वेतनमान के साथ ही डॉक्टर्स पर नए नियम लागू करने तैयारी कर ली है। इसमें सबसे अहम डॉक्टर्स की प्राइवेट प्रैक्टिस पर पाबंदी से सम्बंधित शर्त है। सातवें वेतनमान को लेकर आंदोलन का दबाव बना रहे डॉक्टर्स अब बैकफुट पर हैं।
इसलिए बढ़ी सम्भावना-
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने चिकित्सा शिक्षा विभाग में एसीएस राधेश्याम जुलानिया के साथ बीते सप्ताह बैठक की। एसीएस ने प्राइवेट प्रैक्टिस पर पाबंदी को लेकर रुख स्पष्ट कर दिया है। उनके रुख के बाद डॉक्टर्स दो खेमे में बंट गए हैं। मेडिकल के लगभग आधे डॉक्टर प्राइवेट प्रेक्टिस नहीं करते। वे शर्त मनाने को तैयार हैं। लेकिन, जो डॉक्टर्स प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं, वे प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।
इसके बाद ठंडे पड़ गए डॉक्टर –
वेतन-भत्ते बढ़ाने की मांग पर बातचीत के दौरान मेडिकल एसोसिएशन के कामकाज का बहिष्कार करने की चेतावनी पर एसीएस ने प्लान-बी सुना दिया। इसके तहत विभाग ने डॉक्टर्स के कॉलेजों में पढ़ाने से मना करने पर प्राइवेट डॉक्टर्स को पढ़ाने के लिए अतिथि के रूप में नियुक्त करने का मसौदा बनाया है। प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस के डॉक्टर्स को भी अध्यापन और उपचार के लिए कॉन्ट्रेक्ट पर रखा जाएगा।
बातचीत के बाद बदलाव- चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से मुलाकात के बाद मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की ओर से कहा जा रहा है कि प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रतिबंध को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है। जबकि, भोपाल में बातचीत के बाद मेडिकल कॉलेज में अंदर-अंदर ही डॉक्टर्स का एक धड़ा विभाग के निर्णय के खिलाफ मोर्चा खोलने की जुगत में है। एसीएस जुलानिया के अनुसार मेडिकल टीचर्स को बेहतर वेतन और सुविधा के प्रस्ताव दिए हैं। सरकार की मंशा मरीजों को बेहतर उपचार और विद्यार्थियों को उत्कृष्ट शिक्षण मुहैया कराना है।
आंकड़ों की जुबानी
273 के लगभग चिकित्सक एनएससीबी मेडिकल अस्पताल में
65 हजार से एक लाख रुपए तक है इनका प्रतिमाह वेतन भुगतान
80 हजार से डेढ़ लाख रुपए प्रतिमाह तक होगी 7वें वेतनमान से
डॉक्टर्स के अलग-अलग मत
50 फीसदी चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करते। ये प्रस्तावित सातवां वेतनमान सशर्त स्वीकार करने को तैयार हैं।
25 फीसदी चिकित्सक एनपीए नहीं लेते। क्लीनिक चलाते हैं। ये प्राइवेट प्रैक्टिस बंद करने के निर्णय के खिलाफ हैं।
35 फीसदी चिकित्सक एनपीए लेते हैं। बाहर इलाज भी करते है। ये प्रस्ताव के विरोध में खुलकर नहीं आ रहे हैं।
विभाग ने दिए ये प्रस्ताव
सातवां वेतनमान दिया जाएगा, लेकिन प्राइवेट प्रैक्टिस बंद होगी। नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) नहीं मिलेगा। इसकी जगह आयुष्मान भारत के तहत उपचार में सहायता देकर 20 फीसदी इंसेटिव प्राप्त करें।
सातवां वेतनमान मिलेगा। प्राइवेट प्रैक्टिस के इच्छुक हैं, तो मेडिकल में ही पेड क्लीनिक खोलने की अनुमति मिलेगी। डॉक्टर मेडिकल में अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद शाम के वक्त इस क्लीनिक में मरीज देख सकेंगे। इसकी फीस में 20 फीसदी राशि कॉलेज में जमा होगी।