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Black fungus से तीन की मौत, अब रोगियों को बचाने की बनी रणनीति तो बाजार में दवाओं की किल्लत

locationजबलपुरPublished: May 14, 2021 01:58:43 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

– Black fungus की दवाओं की कालाबाजारी की आशंका

अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में होगा ब्लैक फंगस का इलाज

अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में होगा ब्लैक फंगस का इलाज

जबलपुर. Black fungus से तीन मरीजों की मौत के बाद इस अत्यंत खतरनाक पोस्ट कोविड मर्ज से लड़ने की रणनीति बनाई गई है। इसके तहत नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक वार्ड ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों के लिए Reserve किया गया है। इस वार्ड में 15 मरीजों को भर्ती किया जा सकेगा। मरीजों की संख्या बढ़ने पर बेड संख्या बढ़ाई जाएगी। कॉलेज के डीन के निर्देश पर अलग-अलग विधा के सात चिकित्सा विशेषज्ञों की कमेटी गठित की गई है। इस टीम को ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार व ऑपरेशन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
बता दें कि इससे पहले अब तक ब्लैक फंगस से पीडि़त 15 मरीज मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंच चुके हैं। कॉलेज के डीन डॉ. कसार के अनुसार इनमें तीन मरीजों की मौत हो चुकी है। चार मरीजों के ऑपरेशन किए जा चुके हैं। डीन कहते हैं कि ब्लैक फंगस के समुचित इलाज के इंतजाम अब मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हो गए हैं। शासन से जल्द ही आवश्यक दवाओं की आपूर्ति भी हो जाएगी।
उपचार व ऑपरेशन में उपयोगी दवाओं की कमी

इन चाक चौबंद इंतजामो के दावे के बीच ब्लैक फंगस के उपचार व ऑपरेशन में उपयोगी दवाओं की कमी बनी हुई है। मेडिकल प्रशासन ने दवाओं की उपलब्धता के लिए सरकार का दरवाजा खटखटाया है। ब्लैक फंगस कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फंगस से संक्रमित अंग को ऑपरेशन से निकालना भी पड़ सकता है। मेडिकल व कुछ निजी अस्पतालों में ऐसे ऑपरेशन किए जा चुके हैं, जहां ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीज की आंख, जबड़ा, नाक की हड्डी काटकर निकालनी पड़ी।
एक ओर ब्लैक फंगस से लड़ने को, मरीजो को दुरुस्त करने को मेडिकल अस्पातल में वार्ड तो आरक्षित हो गया है। पर जब दवा ही नहीं मिलेगी तो इलाज व आपरेशन कैसे होगा।
इन दवाओं की कालाबाजारी की आशंका

आलम यह है कि सरकारी व निजी अस्पतालों में भर्ती ब्लैक फंगस संक्रमित मरीजों के परिजन इन दवाओं के लिए भटक रहे हैं। दवा कारोबारियों का कहना है कि ब्लैक फंगस दुर्लभ बीमारी होने के कारण इसकी दवा भी कम मात्रा में स्टॉक की जाती रही। इन दिनों अचानक ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ गए हैं जिसके चलते दवाओं की कमी हो गई है। इस बीच एम्फोटेरेसिन इंजेक्शन, पोसकोनाजोल टैबलेट, सिवुकोनाजोल टैबलेट समेत कुछ अन्य दवाओं की बाजार में कमी हो गई है। अब इन दवाओं की कालाबाजारी की आशंका जाहिर की जा रही है।
ऑक्सीजन मास्क समय पर नहीं बदलने से ब्लैक फंगस की संभावना

उधर मेडिकल में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों को ब्लैक फंगस से बचाने के लिए ऑक्सीजन मास्क व नेबुलाइजर बदलने पर जोर दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि ब्लैक फंगस मरीजों की केस हिस्ट्री के रिसर्च से ये तथ्य प्रकाश में आए हैं कि कोरोना के उपचार के लिए वे जिन निजी अस्पतालों में भर्ती रहे वहां ऑक्सीजन मास्क को समय पर नहीं बदला गया था। इधर, स्वास्थ्य विभाग ऐसे अस्पतालों को चिन्हित करने की कोशिश में जुट गया है जहां से कोरोना उपचार के बाद मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आए।
विशेषज्ञों की सलाहः मरीज शुगर लेवल पर रखें ध्यान

मेडिकल कॉलेज ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. कविता सचदेवा का कहना है कि कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद सेहत के प्रति लापरवाही न बरतें। मरीज अस्पताल में भर्ती रहें अथवा छुट्टी मिलने के बाद घर पहुंच गए, सभी को ब्लड शुगर पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। इस दशा में यदि शुगर पर नियंत्रण न रखा गया तो ब्लैक फंगस तेजी से हमला कर सकता है। रक्त में शुगर की मात्रा 150-200 तक है तो घबड़ाने की बात नहीं परंतु इससे ज्यादा मात्रा ब्लैक फंगस के हमले का कारण बन सकती है। उन्होंने कहा कि कोरोना मरीजों के उपचार के दौरान ऑक्सीजन मास्क, नेबुलाइजर तथा वार्ड को संक्रमणमुक्त रखा जाना आवश्यक है।
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