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junior doctors strike समाप्त कराने को बढ़ी सख्ती, जारी हुआ ये आदेश

locationजबलपुरPublished: Jun 05, 2021 07:23:29 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

strike के दौरान इस्तीफा देने वाले junior doctors को जमा करना होगा 30 लाख-junior doctors strike के दौरान मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने जारी किया पत्र

junior doctors strike समाप्त कराने को बढ़ी  सख्ती, जारी हुआ ये आदेश

junior doctors strike समाप्त कराने को बढ़ी सख्ती, जारी हुआ ये आदेश

जबलपुर. junior doctors strike को तोड़ने के लिए छात्रों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। प्रदेश शासन के बाद अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एक पत्र जारी कर इस्तीफा देने वाले छात्रों से बांड के नाम पर 30 लाख रुपये जमा करने का निर्देश जारी किया है। इसके बाद हड़ताली जूनियर डॉक्टरों में रोष व्याप्त है।
कॉलेज के इस पत्र पर हड़ताली जूनियर डॉक्टरों ने कहा है कि इस्तीफा स्वीकार करने के लिए बांड के तौर पर 30 लाख रुपए जमा करने को बोल रही है। लेकिन इतनी बड़ी धनराशि तो उनके पास है नहीं, लिहाजा इसके लिए हम आम लोगों के सामने झोली फैलाकर भीख मांग कर पैसा इकट्ठा कर जमा करेंगे।
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जबलपुर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर पंकज सिंह का कहना है कि हमारे माता-पिता पढ़ने में अपनी जमा-पूंजी खत्म कर चुके हैं। कोरोना काल में उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ चुकी है। ऐसे में शासन व कॉलेज प्रशासन को बांड भराने के लिए कुछ दिनों की मोहलत देनी होगी। ऐसा नहीं होने पर उनके समक्ष भीख मांगने के सिवाय दूसरा रास्ता नहीं बचेगा। उन्होंने कहा कि सरकार जिद छोड़े और अपने शिक्षा मंत्री के आश्वासन को पूरा करे।
समाज सेवा से जुड़े हड़ताली जूनियर डॉक्टर

इस बीच हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों ने समाज सेवा शुरू कर दी है। इसके तहत उन्होंने शुक्रवार को ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित कर 25 यूनिट ब्लड डोनेट किया। उसके बाद शनिवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर कॉलेज परिसर में पौध रोपण किया।
मेडिकल कॉलेज प्रशासन से जारी हुआ ये आदेश
वहीं जूनियर डॉक्टरों की छह सूत्रीय मांग के समर्थन में जूनियर रेजिडेंट (जेआर) और सीनियर रेजिडेंट (एसआर) भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं। बता दें कि जबलपुर मेडिकल कॉलेज में इनकी संख्या 100 है। बताते चलें कि एमबीबीएस पासआउट के बाद एक वर्ष का इंटर्नशिप करना होता है, जिसमें 6 महीने ग्रामीण व इतनी ही अवधि तक कहीं भी सेवा देने की स्वतंत्रता होती है। शुरूआती छह महीने तक उन्हें जेआर और इसके बाद एसआर कहा जाता है। इनके हड़ताल में शामिल होने से मेडिकल कॉलेज में इलाज ठप सा हो गया है।
मध्य प्रदेश चिकित्सा विश्वविद्यालय के जूनियर डॉक्टरों के दाखिले रद करने के विरोध में आइएमए ने सरकार को चेतावनी दी है। आइएमए जिला शाखा के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन डॉ. प्रदीप कसार को ज्ञापन सौंपा। इसमें जूनियर डॉक्टरों का नामांकन बहाल करते हुए उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी है कि ऐसा न होने पर निजी क्षेत्र के चिकित्सक भी स्वास्थ्य सेवाएं बंद कर देंगे। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. दीपक साहू, सचिव डॉ. ब्रजेश चौधरी ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों ने कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किए बगैर मरीजों की सेवा की। अब उनके साथ तानाशाहीपूर्ण रवैया अनुचित है।

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