सकते में पुलिस
जिला कोर्ट से लगातार बंदी फरार हो रहे हैं। इस बार दो महीने के अंतराल पर हत्या के प्रयास व हत्या जैसे मामले के दो विचाराधीन बंदियों की फरारी ने पुलिस को सकते में ला लिया है। 21 जून को जहां हत्या के मामले में बंद उमेश यादव हथकड़ी सहित फरार हुआ, तो आज तक पुलिस नहीं ढंूढ़ सकी। 24 अगस्त को फरार धनराज राजपूत के मामले का भी यही हश्र है। इसके पहले भी जिला कोर्ट से हर साल कैदी फरार होते रहे हैं। एसपी ने मेडिकल में इलाज कराने वाले बंदियों की सुरक्षा व्यवस्था की भी समीक्षा की है। यहां भी हद दर्ज की लापरवाही बरती जाती है। पूर्व में मेडिकल से भी बंदियों के भागने की घटनाएं सामने आती रही हैं।
लापरवाह पुलिसकर्मी होंगे बर्खास्त
एसपी ने बंदी धनराज राजपूत के फरार होने के दौरान सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मियों एएसआइ रवि व आरक्षक गोपाल और प्रभारी एसआइ लखन पटेल को अब बर्खास्त करने की बात कही है। इन लापरवाह पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एएसपी संजीव उईके से प्रतिवेदन मांगा है।
केस एक
24 अगस्त को पेशी के बाद हत्या के प्रयास के मामले में विचाराधीन बंदी बड़ा पत्थर रांझी निवासी मूसा उर्फ मोनू उर्फ धनराज फरार हो गया था
केस दो
21 जून को हत्या के आरोप में गिरफ्तार विचाराधीन कैदी उमेश यादव हथकड़ी सहित जिला अदालत में पेशी के दौरान फरार हो गया था।
केस तीन
21 सितम्बर 2017 को दिल की बीमारी से पीडि़त कैदी जयदीप राठौड़ को मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह वहां से फरार हो गया था।
केस चार
22 मार्च 2016 को हनुमानताल में चर्चित एजाज हत्याकांड का आरोपित मो. समीर कोर्ट परिसर से हथकड़ी खोलकर फरार हो गया था