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लोकसभा चुनाव 2019 : नेताओं को सख्त चेतावनी…यहां सिर्फ राष्ट्रवाद की हवा चल रही है

locationजबलपुरPublished: Mar 28, 2019 08:04:40 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर की रजनीतिक हवा में जाति, धर्म, मुफ्त में देने जैसे जुमलों पर वोट नहीं देने की चर्चा

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जबलपुर। लोकसभा चुनाव में मुद्दे इस बार भी तमाम हैं। हालांकि, जबलपुर जैसे शहरों में अभी नारों का शोर कम है। कह सकते हैं चौंकाने वाले स्थिति में शोर कम है। सुबह-शाम के जमावड़े में ही अभी राजनीतिक चर्चाएं शुरू हुई हैं। चर्चाओं में एक बात अच्छी है कि वोट देने का मानस तैयार होने लगा है। यदि थोड़े से भी समझदार लोगों से चर्चा की जाए, तो यही बात सामने आती है कि इस बार वोट देश या राष्ट्र के नाम। ऐसे में यह नहीं कह सकते कि किसी पार्टी विशेष का स्टम्प भी लोग लगा रहे हैं। वैसे राजनीति में कोई स्थाई भाव तो होता नहीं। देश के किसी हिस्से में ऐसा नहीं है। इसलिए जबलपुर शहर में भी यह कोई नहीं मानता कि नेता जो कहते हैं, करते भी वही हैं। सबको पता है कि नेताओं के वायदे चुनावी होते हैं। लेकिन, अभी तक अच्छी बात इसे जरूर मान सकते हैं कि आम जनता हवाई जुमलों को समझ रही है। हर कोई अब यह जरूर पूछ लेता है कि नेताजी जो कुछ देने के लिए कह रहे हैं, उसे पूरा कैसे करेंगे? इससे भी अच्छी बात है कि एक खेमा यह भी कहने लगा है कि आखिर मुफ्तखोरी की आदत कब तक बोई जाएगी? इसकी फसल कब तक काटी जाएगी? आखिर टैक्स चुकाने वालों के पैसे से काम नहीं करने वाला वर्ग कब तक तैयार किया जाएगा?
बहुत हो चुका जातिवाद
समझदार लोग जबलपुर में ही हैं, ऐसा नहीं है। लेकिन, यहां एक हवा धीरे-धीरे ही सही, चल जरूर रही है। कुछ लोग मुखर होकर बोलने लगे हैं कि जातिवाद, धर्म आदि के आधार पर वोट मांगने वाले कहीं से भी अच्छे नेता नहीं हो सकते। इसलिए इस बार वोट राष्ट्र के नाम देना है। यह धारणा भी मजबूत हो रही है कि जाति-विरादरी के लोगों को वोट देकर कोई भी मतदाता अच्छा कदम नहीं उठाता। क्योंकि, नेता असल में किसी जाति-बिरादरी का नहीं होता। उसके लिए वोट ही सबकुछ है। वोट ही धर्म है। जाति भी धर्म है। सिद्धांत भी धर्म है। इसलिए पार्टी कोई कोई भी हो, नेता उसे ही मानें, जो साबित करे कि वह देश के नाम कोई एक काम तो अच्छा करेगा।
नोट की गड्डी, शराब की बोतल से नहीं बिकेगा वोट
समझदार मतदाता तो नोट की गड्डी, शराब की बोतल के आधार पर वोटिंग कभी नहीं करता। लेकिन, कुछ मजबूरी में तो कुछ नादानी में वोट की कीमत लगा देते हैं। ऐसे में इस बार सबसे अपील की जा रही है कि एक दिन कुछ नोट या शराब की बोतल लेकर पांच साल के लिए देश को दांव पर मत लगाएं। देश रहेगा, तो सब कुछ मिलता ही रहेगा। कम या ज्यादा हो सकता है। लेकिन, जीवन तो देश में रहने से ही चलेगा। इन चर्चाओं के बीच हालांकि, कोई भी पार्टी शत-प्रतिशत अभी तक खरी नहीं उतरी है।

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