रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के छात्रों की राय है कि छात्रसंघ चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होने चाहिए। छात्रों के बीच से चुना गया प्रतिनिधि ही समस्याओं के प्रति गम्भीर होता है। जबकि, अप्रत्यक्ष प्रणाली वाले छात्रसंघ के पदाधिकारी अक्सर निष्क्रिय हो जाते हैं। वे सिर्फ अपने फायदे की बात करते हैं। कुछ छात्रों को कहना है कि निजी या शासकीय महाविद्यालयों में कभी-कभी छात्र हितों की अनदेखी होती है। ऐसे समय में छात्र मजबूर होता है। छात्रसंघ होने पर गम्भीर समस्याओं पर गम्भीरता से जोरदार विरोध सम्भव होता है। कुछ ने कहा कि पदाधिकारी बनने के लिए छात्र एक-एक वोट के लिए संघर्ष करता है और पद का महत्व बखूबी समझता है। लेकिन, अंकों के अनुसार पदाधिकारी बनने वाला अपने ही अंक बढ़ाने में लगा रहता है।
आपस में चर्चा कर रहे कुछ छात्रों ने कहा कि छात्रसंघ राजनीति की पाठशाला है। इसके बावजूद मप्र में यह वर्षों से बंद है। ऐसा होना दुर्भाग्यजनक है। कई छात्र नेताओं ने देश की राजनीति में जनप्रतिनिधि के रूप में पहचान स्थापित की। यह जरूर है चाहते हैं कि छात्रसंघ चुनाव हो लेकिन इसमें राजनीतिक पार्टी का दखल न हो। उच्च शिक्षा में छात्रों का बौद्धिक स्तर बेहतर होता है और परिपक्वता आ जाती है। छात्रसंघ के नाम पर अराजकता फैलने की बातें करना गलत है। छात्रसंघ से उच्च शिक्षा का स्तर ऊंचा होता है।