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काश! तुम रूठी रहो, मैं मनाता रहूं…वाला भाव यहां भी होता तो जान देने की नौबत आए जाए

locationजबलपुरPublished: Sep 05, 2020 07:57:35 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर जिले में बढ़ी आत्महत्या की प्रवृत्ति, सबसे ज्यादा पारिवारिक कलह बन रही कारण
 

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यह है स्थिति

2018 में आत्महत्या-259
2019 में आत्महत्या-302
वृद्धि-16.6 प्रतिशत

आत्महत्या की ये वजह
शादी न होने का तनाव-06
पुरुष-04
महिला-02
पारिवारिक सम्बंधों में तनाव-05
पुरुष-04
महिला-01
शादी से इतर सम्बंध-01
महिला-01
परिवारिक कलह-241
पुरुष-154
महिला-87
ड्रग व नशा के चलते-54
पुरुष-54
प्रेम प्रसंग के चलते-01
महिला-01

2019 में प्रदेश का ये है आंकड़ा

एमपी में आत्महत्या-12457
इंदौर में आत्महत्या-618
जबलपुर में आत्महत्या-302
ग्वालियर में आत्महत्या-295

जबलपुर। आत्महत्या की प्रवृत्ति जबलपुर में तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2018 की तुलना में 2019 में 23.8 प्रतिशत से अधिक लोगों ने मौत को गले लगाया। इसमें पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में ज्यादा है। पारिवारिक कलह में लोग सबसे अधिक आत्महत्या करते हैं। इसका खुलासा राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े करते हैं। प्रदेश में आत्महत्या के ग्राफ में हर वर्ष 15.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हो रही है। वहीं, जबलपुर में लगभग डेढ़ गुना की दर से आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। एनसीआरबी के आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि नशे की प्रवृत्ति भी आत्महत्या की वजह बन रही है। वर्ष 2019 में ऐसे 54 पुरुषों ने आत्महत्या की, जो किसी न किसी नशे के लती थे। प्रेम सम्बंध, शादी नहीं होने की वजह भी आत्महत्या के कारणों में बताई गई है।

प्रदेश में दूसरे नम्बर पर जबलपुर
प्रदेश में आत्महत्या करने वालों में जबलपुर दूसरे नम्बर पर है। सबसे अधिक आत्महत्या इंदौर में 618 लोगों ने की। इसके बाद जबलपुर में 302 लोगों ने जान दी। तीसरे नम्बर पर ग्वालियर है। यहां 2019 में 295 लोगों ने आत्महत्या की। क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े से इतर एक जनवरी 2020 से 31 अगस्त तक के पुलिस रिकॉर्ड पर नजर दौड़ाएं तो तस्वीर इस बार भी डरावनी है। अब तक 288 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। इस बार भी पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में अधिक है। डॉ. सुमित पासी ने बताया कि आत्महत्या की मनोवृत्ति भी एक बीमारी है। आत्मबल कमजोर होने और एक साथ कई क्षेत्रों जैसे परिवारिक, सामाजिक, व्यक्तिगत और कैरियर का दबाव पडऩे पर अक्सर लोग अवसादग्रस्त होकर ऐसा कदम उठाते हैं। यदि एक महीने से लगातार थकान, सांसों का फूलना, नींद न आना, असमय डायबिटीज और गुस्सा आना और बार-बार मन में आत्महत्या का विचार आ रहा हो तो सावधान हो जाएं। ये शरीर में केमिकल डिसबैलेंस का लक्षण है। खुद और परिवार का किसी मनोचिकित्सक से काउंसलिंग कराएं।

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