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गरमी की दस्तक, वन्यप्राणियों पर संकट

locationजबलपुरPublished: Mar 26, 2019 01:43:13 am

Submitted by:

reetesh pyasi

सूखने लगे जंगलों के जलस्रोत, शहर का रुख कर रहे वन्यप्राणी

No water for wild animals

wild animals

जबलपुर। शहरी क्षेत्र की पहाडिय़ों और जंगलों में स्थित जलस्रोत और पानी की टंकियां सूखने से प्यास बुझाने के लिए वन्य प्राणी आबादी वाले क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं। पानी की टंकियों की न तो सफाई कराई जा रही है और न ही उनमें पानी भरने के इंतजाम किए जा रहे हैं। नतीजतन गर्मी बढऩे के साथ आबादी क्षेत्रों में आने वाले वन्य प्राणियों की संख्या भी बढऩे लगी है।

जलस्रोत के रूप में केवल खंदारी जलाशय
डुमना नेचर रिजर्व और आस-पास के जंगलों के बड़े क्षेत्र में जलस्रोत के रूप में केवल खंदारी जलाशय है। नगर निगम प्रशासन डुमना नेचर रिजर्व के फेंसिंग एरिया में बनाई गई टंकियों में पानी भरवा रहा है, लेकिन बाहर के क्षेत्र में वन्यप्राणियों की प्यास बुझाने के इंतजाम नहीं हैं। गधेरी के पास वन क्षेत्र में जलस्रोत सूख गए हैं। सैन्य क्षेत्र के जंगलों पाटबाबा की पहाड़ी, सीओडी, इडीके, सीएमएम और नेहरा कम्पनी के एरिया में सीमेंट की कई छोटी और बड़ी पानी की टंकियां बनाई गई हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं भरा जा रहा है। कुछ स्थानों पर टंकियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं, उनकी मरम्मत भी नहीं हो रही है।
विभागों के फेर में फंसा पेंच
वन अधिकारियों के अनुसार वन क्षेत्रों में प्राकृतिक जलस्रोतों की मरम्मत कराकर पानी भरा गया है। सैन्य क्षेत्र और नगर निगम की भूमि वाले जंगलों में वन विभाग की ओर से कोई कार्य नहीं कराया जा रहा है। इसके अलावा जिन अन्य विभागों के अंतर्गत वन क्षेत्र आते हैं, वे भी इस सम्बंध में काम नहीं कर रहे हैं।
तेंदुए का भी जोखिम
गर्मी सीजन की शुरुआत में ही 24 वन्य प्राणियों का रेस्क्यू किया जा चुका है। खमरिया क्षेत्र में तेंदुए की दस्तक से लोग दहशत में हैं। तेंदुआ, लकड़बग्घा, जंगली बिल्ली, जंगली सुअर, लोमड़ी जैसे वन्यप्राणियों के आबादी वाले क्षेत्रों में जाने से स्थिति और भयावह हो सकती है।
शहरी क्षेत्रों के जंगलों में वन्य प्राणियों की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त जलस्रोत बनाए जाएंगे। इस सम्बंध में सैन्य संस्थानों के अधिकारियों से भी बात की जाएगी।
रवीन्द्रमणि त्रिपाठी, डीएफओ

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