यह है मामला
प्रदेश सरकार ने होर्डिंग को लेकर नई नीति फरवरी 2017 में लागू कर दी थी। इसके बाद नगर निगम ने सभी होर्डिंग संचालकों को वैध और अवैध होर्डिंग हटाने के नोटिस दिए थे। करीब 150 होर्डिंग एजेंसी संचालकों ने इस नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने मामला नगर निगम की अपील समिति को वापस भेज दिया था। अपील समिति ने संचालकों के आवेदन निरस्त कर दिए। इसके निर्णय के विरोध में होर्डिंग संचालकों ने फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने नगर निगम के पक्ष में निर्णय दिया। इसे होर्डिंग संचालकों ने शीर्ष कोर्ट चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद मंगलवार को होर्डिंग एजेंसी संचालकों की याचिका निराकृत कर दी।
पूरे प्रदेश में लागू होगी नई विज्ञापन नीति
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पूरे प्रदेश में नई विज्ञापन नीति लागू की जाएगी। इसके तहत सड़क किनारे लगे होर्डिंग अवैध माने जाएंगे। छत पर ही होर्डिंग लगाए जा सकेंगे। इसके लिए भी नगर निगम से अनुमति लेना आवश्यक होगा।
जजों के रिटायर होने के छह महीने पहले तैयार हो जाएं पेंशन के कागजात
मप्र हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार, राज्य सरकार तथा महालेखा परीक्षक को कहा है कि हाईकोर्ट जजों के पेंशन के कागजात उनकी सेवानिवृत्ति के 6 माह पहले तैयार किए जाएं। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय शुक्ला की डिवीजन बेंच ने रिटायर्ड जजों के पेंशन संबंधी मामलों का जल्द से जल्द निराकरण करने को कहा। इसी के साथ बेंच ने याचिका का पटाक्षेप कर दिया।
यह है मामला
हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को सातवें वेतनमान के अनुसार पुनरीक्षित पेंशन नहीं दिए जाने के मसले पर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर यह जनहित याचिका दायर की थी। अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट की ओर से रिटायर्ड जजों की पेंशन के लिए जरूरी प्रक्रिया पूरी कर प्रकरण नियंत्रक और महालेखा परीक्षक को भेज दिए गए हैं। वर्तमान में रिटायर्ड जज यूएल भट्ट के पेंशन प्रकरण पर कार्रवाई चल रही है। बाकी के प्रकरणों पर भी जल्द कार्रवाई की जाएगी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने जजों की सेवानिवृत्ति के पहले ही पेंशन के दस्तावेज तैयार करने के निर्देश दिए। ताकि उन्हें भविष्य में पेंशन संबंधी दिक्कत न हो सके।