यह है मामला
मई 2019 में मप्र हाईकोर्ट ने निजी मेडिकल कॉलेजों की एनआरआई कोटे की पंद्रह फीसदी सीटें सामान्य पूल में परिवर्तित करने का अंतरिम आदेश दिया। इसके खिलाफ इन कॉलेजों की एसोसिएशन की ओर से एसएलपी ( विशेष अनुमति याचिका) दायर की गई। जबकि एक अन्य रिट याचिका दायर कर एसोसिएशन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के तहत एनआरआई कोटे की पंद्रह फीसदी सीटों को काउंसिलिंग के अंतिम चरण तक दूसरे पूल में परिवर्तित नहीं किया जा सकता। अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता, निशित अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट ने न्याय दृष्टांत के हवाले से कहा कि मॉप-अप राउंड के दौरान सीटों का सामान्य पूल में बदलना सुको के दिशानिर्देश के खिलाफ है। दोनों याचिकाओं की सुनवाई एक साथ करने के बाद शीर्ष कोर्ट ने कहा कि पहले मप्र हाईकोर्ट इस मसले पर याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से दायर याचिकाओं का जल्द से जल्द निराकरण करे। यह आवश्यक है। इस छूट के साथ कोर्ट ने दोनो याचिकाएं निराकृत कर दीं।