scriptडंपर खरीदी घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अदालत में नहीं, बाहर लड़ें चुनाव | supreme court's big decision in CM shivraj's Dumpar scam | Patrika News

डंपर खरीदी घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अदालत में नहीं, बाहर लड़ें चुनाव

locationजबलपुरPublished: Sep 20, 2018 02:27:58 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी के खिलाफ थी याचिका

cm shivraj

supreme court’s big decision in CM shivraj’s Dumpar scam

जबलपुर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह के खिलाफ बहुचर्चित डम्पर घोटाले में कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा द्वारा दायर को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने लहजे में टिप्पणी भी की कि चुनाव अदालत के बाहर लडऩा चाहिए, अदालत के कमरे नहीं। सुको ने कहा कि अब तक की जांच में इस मामले में कोई अपराध सिद्ध नहीं हुआ है। याचिका में उठाए गए सवाल सुनवाई के योग्य नहीं है। चुनाव से ठीक पहले सुको के इस निर्णय से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह को बड़ी राहत मिली है। वहीं कांग्रेस के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है।

मामले में ये थे आरोप
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह के खिलाफ डंपर घोटाला काफी समय से चर्चाओं में रहा। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि शिवराज सिंह चौहान 29 नवम्बर, 2005 को प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। चार अप्रैल 2006 को चुनाव लडऩे के दौरान सिंह ने नामांकन भरा था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी साधना सिंह के बैंक खाते में दो लाख 30 हजार रुपये बताए थे। उक्त राशि से दो करोड़ रुपये मूल्य के चार डम्पर नहीं खरीदे जा सकते। चारों डंपर साधना सिंह के नाम पर दर्ज थे, और उसमें पता जे.पी. नगर प्लांट रीवा का दर्ज था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस मामले का खुलासा होने पर रीवा के आरटीओ कार्यालय के दस्तावेजों में हेराफेरी कर पूरा रिकार्ड नष्ट करा दिया गया। जेपी एसोसिएट्स को पहुंचाए जा रहे लाभों को चुनौती देकर नवम्बर 2007 में रमेश साहू की ओर से एक परिवाद दायर किया गया था। परिवाद की सुनवाई करते हुए भोपाल जिला न्यायालय ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व अन्य के खिलाफ लोकायुक्त जांच के निर्देश जारी किए थे। लोकायुक्त ने साक्ष्य के आभाव में मुख्यमंत्री सहित अन्य के खिलाफ समापन रपट न्यायालय में पेश कर दी थी। जिसके आधार पर निचली अदालत ने परिवाद खारिज कर दिया था।

फिर से दायर किया परिवार
डम्पर घोटाला प्रकरण में मिश्रा ने नए साक्ष्यों व तथ्यों के आधार पर एक परिवाद दायर किया था, जिसे निचली अदालत ने 28 फरवरी, 2017 को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया था। निचली अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि बिना सक्षम प्राधिकारी से अभियोजन की अनुमति के परिवाद प्रचलनशील नहीं हो सकता। दायर याचिका में कहा गया था कि न्यायालय में पेश किए गए दस्तावेज के आधार पर अपराध घटित होने के संबंध में निर्णय लेना चाहिए था। पूर्व कार्यकाल के दौरान डम्पर घोटाला हुआ है, वर्तमान कार्यकाल में नहीं। इसलिए अभियोजन की अनुमति आवश्यक नहीं है। न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा, बुधवार को जारी आदेश में निचली अदालत के फैसले को विधि सम्मत ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी थी।

हाईकोर्ट से भी खारिज
उल्लेखनीय है कि मिश्रा की पुनरीक्षण याचिका को जबलपुर उच्च न्यायालय ने भी खारिज कर दिया था। न्यायालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि दायर याचिका में उठाए गए सवाल सुनवाई योग्य नहीं हैं। मिश्रा की ओर बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई। एडवोकेट वंशजा शुक्ला के अनुसार गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की बेंच इस टिप्पणी के साथ याचिका को खारिज कर दिया कि चुनाव अदालत के बाहर लडऩा चाहिए, अदालत के कमरे में नहीं। केके मिश्रा की ओर से सुको में दिग्गज वकील कपिल सिब्बल व अन्य ने पक्ष रखा था।

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