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Breaking news – 4 साल की मासूम से रेप के बाद हत्या करने वाले को फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

locationजबलपुरPublished: Sep 18, 2018 11:47:20 am

Submitted by:

deepak deewan

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

supreme court verdict on hanging

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जबलपुर. शहडोल में 4 साल की एक मासूम की रेप के बाद हत्या करने वाले को मिली फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। बालिका से दुष्कृत्य के बाद निर्ममतापूर्वक हत्या करने के 26 वर्षीय आरोपी को शहडोल जिला न्यायालय द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी। मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ने भी जिला अदालत के निर्णय पर मुहर लगा दी थी। शहडोल जिला न्यायालय के फैसले की पुष्टि करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपराधी की अपील खारिज कर दी थी। हाइकोर्ट ने इसे विरल से विरलतम मामला बताया था। अब इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपराधी को सुनाई गई फांसी की सजा पर रोक लगा दी है।
चार वर्षीय बालिका से दुष्कृत्य के बाद हत्या करने के आरोपी को शहडोल जिला न्यायालय द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा पर मप्र हाइकोर्ट ने अपनी मुहर लगाई थी। चीफ जस्टिस हेमन्त गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने शहडोल जिला निवासी विनोद उर्फ राहुल चौहथा की अपील निरस्त कर दी थी। साथ ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश शहडोल द्वारा दिए गए मृत्यदण्ड के आदेश को उचित ठहराया था। कोर्ट ने मामले को विरल से विरलतम मानते हुए कहा था कि अपराधी के जघन्य कृत्य के लिए मौत के अलावा कोई सजा नही हो सकती। हाईकोर्ट के फैसले के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया जहां कोर्ट ने फिलहाल फांसी की सजा पर रोक लगा दी है।

यह है मामला

अभियोजन के अनुसार आरोपी राहुल उर्फ विनोद ने 13 मई 2017 को सुबह 9 बजे बालिका को टाफी का लालच देकर अगवा किया था। शहडोल बस स्टैण्ड के पीछे मैदान मेें ले जाकर बच्ची के साथ बलात्कार किया। गला दबाकर हत्या करने के बाद शव झाडिय़ों में छिपा दिया। कोतवाली थाना पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर विवेचना के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्षी न होने के बावजूद परिस्थितिजन्य साक्ष्य के माध्यम से प्रकरण साबित किया गया। परिणामस्वरूप इस नृशंस, जघन्य एवं घिनौने वीभत्स कृत्य के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश शहडोल आरके सिंह की कोर्ट ने आरोपी को 28 फरवरी 2018 को दोषसिद्ध करार दिया। मामले को विरल से विरलतम ठहराते हुए अपराधी को भादवि की धारा 376 (क) तथा 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के अधीन दोषी पाते हुए आजीवन कारावास एवं भादवि की धारा 302 में मृत्युदण्ड से दण्डित किया। प्रकरण में न्यायालय द्वारा परीक्षण के दौरान 21 साक्षियों का परीक्षण किया गया।
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