मृतक के परिजनों का कहना है कि गणेश सिंह ने कई बार फोन करके कहा था कि उसे मेडिकल अस्पताल से घर ले आएं। मेडिकल अस्पताल में उसके साथ बहुत खराब व्यवहार किया जा रहा है। यह अस्पताल नहीं बल्कि कसाई घर जैसा है। बड़े पापा मुझे इस नर्क से निकाल लो। रविवार की शाम जब गणेश सिंह के परिजन उससे मिलने के लिए मेडिकल आए थे तब चिकित्सकों और वार्ड ब्वॉय ने गणेश से मुलाकात नहीं करने दी थी।
इसके बाद गणेश सिंह ने फोन पर बात करते हुए परिजनों से एक बार फिर गुहार लगाई कि उसे मेडिकल अस्पताल से बाहर निकाल लिया जाए, नहीं तो ये लोग मुझे मार देंगे। इसके बाद देर रात परिजनों को सूचना मिली की गणेश सिंह ने अपने पास फल काटने वाले चाकू को अपने गले में मारकर आत्महत्या कर ली है।
परिजनों ने आरोप लगाया कि गणेश सिंह ने आत्महत्या नहीं की है। उन्होंने अस्पताल के एक डॉक्टर व एक वार्ड ब्वाय पर गणेश को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा है उसने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसकी हत्या की गई है। अब इस पूरे मामले में परिजनों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और जिला कलेक्टर कर्मवीर शर्मा से पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच की मांग की है।
इस बीच मेडिकल अस्पताल पहुंची गढ़ा थाना पुलिस ने मृतक गणेश सिंह की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस पूरे मामले की बारीकी से जांच में जुटी है। गढ़ा थाना प्रभारी राकेश तिवारी का कहना है कि मृतक के परिजनों, वार्ड के चिकित्सक और कर्मचारियों के भी बयान लेकर इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बताया जा रहा है कि जबलपुर की पाटन तहसील के ग्राम मुड़िया निवासी 30 वर्षीय गणेश सिंह ठाकुर को सांस लेने में आ रही दिक्कत के चलते उनको इलाज के लिए पाटन के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां चेकअप के बाद डॉक्टरों ने उन्हें जबलपुर ले जाने की सलाह दी. दो दिन पहले परिजन उन्हें जबलपुर के कई निजी अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन किसी भी अस्पताल ने भर्ती करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद गणेश को 14 मई को मेडिकल अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। मरीज का कोरोना टेस्ट किया गया लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं आई इसलिए उसे कोरोना संदिग्ध वार्ड में भर्ती करके इलाज किया जा रहा था।