हाईकोर्ट ने एक कर्मचारी की फाइल गायब होने के मामले में जबलपुर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई। न्यायाधीश विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। एकलपीठ ने तल्ख टिप्पणी में कहा कि न तो कोर्ट धृतराष्ट्र बन सकता और न नगर निगम के अधिकारियों व वकील को संजय बनने दिया जा सकता है। इसी के साथ न्यायालय ने नगर निगम आयुक्त को एफआइआर दर्ज कराने और दोषी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए। साथ ही याचिकाकर्ता को तृतीय श्रेणी के पद पर 15 दिन के भीतर पदोन्नति व सभी लाभ देने के आदेश जारी किए। नगर निगम के कर्मचारी लक्ष्मण बरौआ की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता को वर्ष 2003 में चतुर्थ श्रेणी के पद से चतुर्थ श्रेणी के पद पर ही पदोन्नति दी गई थी, जो नियम विरुद्ध है। नियमानुसार चतुर्थ श्रेणी से तृतीय श्रेणी के पद पर पदोन्नति की जानी थी। सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से आदेश के बावजूद मूल अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गए। इसके अलावा निगमायुक्त, स्थापना अधिकारी एवं अधिवक्ता के कथन में विरोधाभास नजर आया। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की।
——————————– अधिवक्ताओं के पैरवी नहीं करने पर याचिकाकर्ता ने स्वयं रखा अपना पक्ष जबलपुर हाईकोर्ट के न्यायाधीश शील नागू व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने आयुध निर्माणी खमरिया के कर्मचारियों की पदोन्नति व वरिष्ठता से जुडे चार प्रकरणों में अंतिम सुनवाई 29 मार्च तय की है। हाईकोर्ट में अधिवक्ताओं की हडताल के कारण याचिकाकर्ता कामगार यूनियन के प्रतिनिधि संतोष श्रीवास्तव ने अपना पक्ष स्वयं रखा।
सुनवाई के दौरान कहा गया फैक्ट्री प्रबंधन ने 2014 और 2017 में भर्ती कर्मचारियों की पदोन्नति व वरिष्ठता पर रोक लगा दी है। इस कारण 12 सौ कर्मचारी प्रभावित हैं। 30 सितम्बर 2023 को फ्रैक्ट्री के सभी कर्मचारी निगम के अधीन होंगे। याचिकाकर्ताओं की ओर से इस मामले में जल्द सुनवाई का आग्रह किया। इसके बाद कोर्ट ने दो दिन बाद बुधवार को मामले की सुनवाई निर्धारित की।