जबलपुरPublished: Sep 21, 2019 08:51:04 pm
prashant gadgil
हाईकोर्ट ने दिया राज्य सरकार को निर्देश, जनहित याचिका का पटाक्षेप
हाईकोर्ट
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने बैगा आदिवासियों के लिए आवंटित फंड में हेराफेरी के मामले में राज्य सरकार को निर्देश दिए कि दोषी अधिक ारियों, कर्मियों के खिलाफ दांडिक व आपराधिक कार्रवाई जल्द पूरी हो, यह सुनिश्चित किया जाए। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कहा कि जिन्हें फंड का लाभ नहीं मिला, वे सक्षम अधिकारियों को अभ्यावेदन दे सकते हैं। इसी के साथ कोर्ट ने 2009 से लम्बित एक जनहित याचिका निराकृत कर दी। लांजी के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने जनहित याचिका दायर कर यह मसला उठाया था। कहा गया कि 2007-08 में राज्य के छह बैगा आदिवासी बहुल जिलों बालाघाट, डिंडोरी, शहडोल, मंडला, अनूपपुर व उमरिया के बैगा समुदाय के लोगों के लिए आवास के लिए अनुदान देने की योजना सरकार ले लाई। लेकिन, बालाघाट जिले के परियोजना अधिकारियों ने अन्य अफसरों के साथ मिल कर इसके लिए आवंटित करोड़ों रुपए डकार लिए। दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मामले की जांच कराई। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने भी जांच की।
चार्जशीट की गईं पेश
सरकार की ओर से स्टेटस रिपोर्ट पेश कर बताया कि दोषियों के खिलाफ चार्जशीट विशेष न्यायाधीश भ्रष्टचार निवारण अधिनियम बालाघाट की अदालत में पेश की जा चुकी हैं। इसे संज्ञान में लेकर कोर्ट ने याचिका निराकृत कर दी। याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता राहुल चौबे और राज्य सरकार का पक्ष शासकीय अधिवक्ता भूपेश तिवारी ने रखा।
इन पर हुई कार्रवाई
बालाघाट के आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्तसत्येंद्र मरकाम, बैहर के तत्कालीन परियोजना प्रशासक जेपी सर्वटे, तत्कालीन सहायक परियोजना प्रशासक एसएस शिवणकर, सेवा सहकारी बैंक का तत्कालीन मैनेजर व एक अन्य कर्मी के खिलाफ चालान पेश किए गए।