मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में निर्देश दिए कि स्मार्ट सिटी के तहत विभिन्न सड़को के चौड़ीकरण के लिए आवश्यक जमीन का सीमांकन व मूल्यांकन कर तुरंत कब्जा ले लिया जाए। जस्टिस शील नागू व जस्टिस एमएस भट्टी की डिवीजन बेंच ने कहा कि इसके 6 महीने के अंदर आर्थिक मुआवजे का आंकलन कर भुगतान के लिए विधि अनुसार प्रक्रिया की जाए।
जबलपुर
Published: July 01, 2022 11:58:04 am
हाईकोर्ट का निर्देश, मुआवजे का आंकलन व भुगतान के लिए 6 माह के अंदर करो कार्रवाई
-स्मार्ट सिटी के तहत चौड़ी हो रही हैं सड़कें
जबलपुर।
मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में निर्देश दिए कि स्मार्ट सिटी के तहत विभिन्न सड़को के चौड़ीकरण के लिए आवश्यक जमीन का सीमांकन व मूल्यांकन कर तुरंत कब्जा ले लिया जाए। जस्टिस शील नागू व जस्टिस एमएस भट्टी की डिवीजन बेंच ने कहा कि इसके 6 महीने के अंदर आर्थिक मुआवजे का आंकलन कर भुगतान के लिए विधि अनुसार प्रक्रिया की जाए। कोर्ट ने कहा कि इस बीच जिन्हें शो कॉज नोटिस मिले हैं, वो अपना जवाब प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन इन जवाबो पर फैसले का इंतजार जमीन अधिग्रहण के लिए न किया जाए।
तैयब अली चौक निवासी असगर अली, डॉ एससी बटालिया सहित घण्टाघर रोड, राइट टाउन व बाई का बगीचा निवासी 9 लोगों की ओर से याचिकाएं दायर की गईं। अधिवक्ता आदित्य संघी, अंशुमन सिंह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं की जमीन शहर की मुख्य सड़कों पर हैं।स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इन सभी सड़कों का चौड़ीकरण किया जा रहा है। इस कार्य मे याचिकाकर्ताओं के मकानों की बाउंड्रीवाल या अन्य निर्माण बाधक बताए जा रहे हैं। इस वजह से नगर निगम की ओर से इन सभी याचिकाकर्ताओं को या तो शोकॉज नोटिस दिए गए, या इन निर्माणों को हटा दिया गया। तर्क दिया गया कि सड़क चौड़ीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। विधिवत आंकलन कर भूमि स्वामियों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। फिर जमीन अधिग्रहण की जानी चाहिए। लेकिन नगर निगम ऐसा नहीं कर रही है।
नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एचएस रूपराह ने कोर्ट को बताया कि नगर निगम अधिनियम की धारा 305 के तहत निगम ने एक प्रस्ताव पारित किया था। इसके तहत जिनकी जमीन अधिग्रहीत की जानी है, उन्हें फ्लोर एरिया रेशो(एफएआर) की दुगुनी जमीन आवंटित की जाएगी। मास्टर प्लान 2021 के तहत जनहित में सड़क चौड़ीकरण कार्य के लिए यह प्रस्ताव पारित किया गया। मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है, क्योंकि उक्त सभी जमीनें लीज पर हैं।
इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से आपत्ति जताते हुए कहा गया कि सुको के न्यायदृष्टांत के तहत याचिकाकर्ता अब इन जमीनों के मालिक हैं। राजस्व रेकॉर्ड में उनके नाम दर्ज हैं। लिहाजा, उन्हें समुचित मुआवजा दिया जाना चाहिए ।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि नगर निगम आर्थिक क्षतिपूर्ति देने से इनकार नहीं कर सकता, जब तक कि भूमि स्वामी जनहित के लिए स्वयं जमीन सरेंडर न कर दे। ऐसा न होने पर जमीन का सीमांकन कर कब्जा लिया जा सकता है। मुआवजा प्रदान करने की प्रक्रिया 6 माह के अंदर पूरी करनी होगी।
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