एचबीवी वायरस से होता है हेपेटाइटिस
हेपेटाईटिस से पीड़ित पंजीकृत मरीजों में जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी, दमोह, शहडोल के मरीज शामिल हैं। यह बीमारी एचबीवी वायरस के कारण होती है। एचबीवी वायरस ब्लड या शरीर के अन्य तरल पदार्थों के सम्पर्क में आने से फैलता है। इससे लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। लिवर खराब होने की स्थिति में ट्रांसप्लांट की नौबत आ जाती है। कई बार मरीज की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है।
सभी जांच के बाद लेते हैं खून
टैटू बनवाने वालों से संक्रमण फैलने के खतरे का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है की जिन लोगों ने शरीर में टैटू बनवाया है या गोदना करवा रखा है, उनका ब्लड हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और एचआइवी की जांच करने के बाद ही लिया जाता है।
ऐसे समझें
●हेपेटाईटिस बी संक्रमित ब्लड या संक्रमित शारीरिक प्रवाही के संपर्क में आने से होता है।
●दूसरे के लिए उपयोग की गई या दोबारा उपयोग में ली गई सुई, इंजेक्शन एक्यूपंचर और टैटू बनवाने से भी संक्रमण का खतरा रहता है।
●कान या शरीर के किसी भाग में छेद कराने के लिए उपयोग की गई सुई को स्टरलाइज नहीं करने से भी हेपेटाइटिस होता है।
●हेपेटाइटिस संक्रमित महिला से उसके नवजात शिशु में गर्भावस्था या प्रसूति के दौरान भी संक्रमण हो सकता है।
मेडिकल अस्पताल में आने वाले हेपेटाइटिस बी से संक्रमित लोगों की हिस्ट्री ली जाती है। पंजीकृत मरीजों में से 50 प्रतिशत में पाया गया कि उन्होंने टैटू बनवाया है। टैटू बनाने में उपयोग किया जाने वाला उपकरण या निडिल का स्टरलाइज न होना संक्रमण का बड़ा कारण होता है।
– डॉ. पंकज असाटी, उदर रोग विशेषज्ञ व नोडल अधिकारी, मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर, मेडिकल कॉलेज