संपत्ति कर, जल शुल्क के बाद अब लोगों के घरों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन शुल्क का भी बिल आने लगा है। नौ से लेकर एक हजार रुपये तक डोर टू डोर कचरा कलेक्शन शुल्क वसूला जा रहा है। सुविधाएं तो बेहतर करो-शहरवासियों का कहना है कि उन पर कर और शुल्क का बोझ़ तो निगम बढ़ाता जा रहा है। लेकिन उस अनुपात में सुविधाओं व सेवाओं में धेले भर का सुधार नहीं है। लोगों का मानना है कि कोई भी नया कर या शुल्क वसूलने से पहले निगम को अपनी सेवाओं में सुधार लाना चाहिए।
नए वार्डों पर दोहरी मार- 2014 में हुए परिसीमन से निगम की सीमा में शामिल हुए पचपन गांव के लोगों को उम्मीद जगी थी शहरी क्षेत्र में शामिल होने से उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सुविधाएं तो मिलीं नहीं ऊ पर से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से फं ड मिलना भी बंद हो गया। इसके एवज में निगम से भी बड़ा फं ड नहीं मिला जिससे की विकास कार्य हो सके । हद तो ये कि पांच साल में जहां नौ नए वार्डों में विकास के नाम पर कोई बड़ा कार्य नहीं हुआ, ऊ पर से उनसे संपत्ति कर की वसूली शुरू कर दी गई।
वर्जन- मूलभूत सेवाओं को लेकर मैप निर्धारित हो, गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के लिए क्विक एक्शन टीम होना चाहिए। ये आवश्यक है कि शहर विकास कार्य सुनियोजित ढंग से हों। सेक्टरवाइज प्लानिंग करके शहर के हरेक क्षेत्र में आदर्श स्वरूप में विकास कार्य करने की आवश्यकता है। केवल कर व शुल्क बढ़ाते जाना सही नहीं है, जिन शहरवासियों से निगम कर वसूली करता है उन्हें बेहतर सेवाएं देना भी जिम्मेदारी है।
डॉ दिनेश कोष्टा, पूर्व सचिव, नगर निगम