scriptअभावग्रस्त शहर में टैक्स की मार | Tax hit in scarcity-hit city | Patrika News

अभावग्रस्त शहर में टैक्स की मार

locationजबलपुरPublished: Jan 21, 2020 12:09:58 pm

Submitted by:

Prabhakar Mishra

अभावग्रस्त शहर में टैक्स की मार
ठीक से सफाई होती है और न स्वच्छ पेयजल मिलने का ठिकाना, फिर भी वसूल रहे हैं संपत्ति कर, जल शुल्क व डोर टू डोर शुल्क
इनडेप्थ स्टोरी-
फै क्ट फाइल-
वर्ष 2018-19 में कर व अन्य शुल्कों से जमा राशि-
-1494562228 रुपये
वर्ष 2019-20 में करों से निगम को प्राप्त राशि-
-60 करोड़ 50 लाख रुपये
निगम वसूलता है ये कर व शुल्क-
-संपत्ति कर
-जल शुल्क
-डोर टू डोर कचरा कलेक्शन शुल्क
इन मदों में भी प्राप्त होती है राशि-
-बाजार विभाग -भवन शाखा

Nagar Nigam Jabalpur

Nagar Nigam Jabalpur

जबलपुर। घरों में वाटर सप्लाई का सिस्टम कब ठप हो जाए कोई गारंटी नहीं, शहर की सफाई व्यवस्था आए दिन बेपटरी हो जाने से गली, नुक्कड़ और सार्वजनिक स्थलों में कचरा का ढेर लग जाता है। ड्रेनेज का पानी बस्तियों में भर जाता है। भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कराने से लेकर लीज नवीनकरण के मामलों में नगर निगम मुख्यालय के चक्कर काटते लोगों का बुरा हाल हो रहा है। विकास के नाम पर मास्टर प्लान के अनुसार रेलवे ओवरब्रिज, फ्लाईओवर नहीं बने। लेकिन कर वसूलने में नगर निगम पीछे नहीं है। बेसिक अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी जूझ रहे अभावग्रस्त शहर को टैक्स की मार का सामना करना पड़ रहा है। जबकि शहरवासियों को निगम से मूलभूत सुविधाएं और सेवाएं भी ठीक ढंग से नहीं मिल रही हैं। डोर टू डोर शुल्क का भी आ रहा बिल-
संपत्ति कर, जल शुल्क के बाद अब लोगों के घरों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन शुल्क का भी बिल आने लगा है। नौ से लेकर एक हजार रुपये तक डोर टू डोर कचरा कलेक्शन शुल्क वसूला जा रहा है। सुविधाएं तो बेहतर करो-शहरवासियों का कहना है कि उन पर कर और शुल्क का बोझ़ तो निगम बढ़ाता जा रहा है। लेकिन उस अनुपात में सुविधाओं व सेवाओं में धेले भर का सुधार नहीं है। लोगों का मानना है कि कोई भी नया कर या शुल्क वसूलने से पहले निगम को अपनी सेवाओं में सुधार लाना चाहिए।
नए वार्डों पर दोहरी मार-

2014 में हुए परिसीमन से निगम की सीमा में शामिल हुए पचपन गांव के लोगों को उम्मीद जगी थी शहरी क्षेत्र में शामिल होने से उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सुविधाएं तो मिलीं नहीं ऊ पर से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से फं ड मिलना भी बंद हो गया। इसके एवज में निगम से भी बड़ा फं ड नहीं मिला जिससे की विकास कार्य हो सके । हद तो ये कि पांच साल में जहां नौ नए वार्डों में विकास के नाम पर कोई बड़ा कार्य नहीं हुआ, ऊ पर से उनसे संपत्ति कर की वसूली शुरू कर दी गई।
वर्जन-

मूलभूत सेवाओं को लेकर मैप निर्धारित हो, गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के लिए क्विक एक्शन टीम होना चाहिए। ये आवश्यक है कि शहर विकास कार्य सुनियोजित ढंग से हों। सेक्टरवाइज प्लानिंग करके शहर के हरेक क्षेत्र में आदर्श स्वरूप में विकास कार्य करने की आवश्यकता है। केवल कर व शुल्क बढ़ाते जाना सही नहीं है, जिन शहरवासियों से निगम कर वसूली करता है उन्हें बेहतर सेवाएं देना भी जिम्मेदारी है।
डॉ दिनेश कोष्टा, पूर्व सचिव, नगर निगम

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो