जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज को तकनीकी विश्वविद्यालय बनाने का सपना अब तक साकार रूप नहीं ले सका है। जेईसी एवं तकनीकी उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किए गए 308 करोड़ का यह प्रस्ताव शासन के पास एक साल से लंबित है। यदि इस प्रस्ताव को शासन से अनुमति मिल जाती है तो शहर ही नहीं बल्कि संपूर्ण महाकोशल क्षेत्र के इंजीनियरिंग कॉलेजों के उन्नयन एवं छात्रों की शिक्षण गुणवत्ता बढ़ाने में मददगार साबित होगा। इस प्रस्ताव पर शनिवार को जबलपुर में होने जा रही कैबिनेट में चर्चा होने की उम्मीद जागी है। टैक्नीकल यूनिवर्सिटी बनाने के आल इंडिया टैक्नीकल स्टूडेंट फेडरेशन के द्वारा एक माह तक आंदोलन, अनशन किया गया था।
विवि से जुड़ेंगे तीन संभाग
तैयार किए गए प्रस्ताव के तहत जबलपुर टैक्नीकल यूनिवर्सिटी से प्रदेश के तीन संभागों को जोड़ा जाएगा। इसमें जबलपुर संभाग के साथ ही सागर संभाग और रीवा संभाग को शामिल किया गया है। इसके अलावा उज्जैन में भी तकनीकी विवि खोलने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस तरह प्रदेश में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अलावा दो और तकनीकी विश्वविद्यालय बनेंगे।
जबलपुर में बेहतर संभावना
सूत्रों के अनुसार जबलपुर को तकनीकी विश्वविद्यालय बनाने में यहां के उम्दा इंफ्रास्ट्रक्चर को बताया गया है। इस मामले पूर्व में उच्च तकनीकी शिक्षा मंत्री दीपक जोशी ने भी जबलपुर को प्राथमिकता देते हुए प्रस्ताव को शासन के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया था। पिछले एक साल के दौरान प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं हो सका।
जेईसी को विश्वविद्यालय बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार भेजा गया है। यदि इसको अनुमति मिलती है तो शहर ही नहीं अपिुत पूरे महाकोशल क्षेत्र के इंजीनियरिंग कॉलेजों को फायदा होगा। शिक्षण व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी।
प्रो.एसएस ठाकुर, प्राचार्य जेईसी