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हाईकोर्ट में किशोरी ने कहा- नहीं जाऊंगी घर, कोर्ट ने भेज दिया बाल निकेतन

locationजबलपुरPublished: Sep 18, 2019 08:47:34 pm

Submitted by:

abhishek dixit

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का पटाक्षेप

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Court

जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट के समक्ष बुधवार को एक नाबालिग किशोरी ने अपने माता-पिता के साथ जाने से स्पष्ट इंकार कर दिया। उसने साफ कहा कि उसकी मां सौतेली है व उसे प्रताडि़त करती है। जस्टिस नंदिता दुबे की सिंगल बेंच ने किशोरी की बात सुनने के बाद उसे बालिग होने तक स्थानीय राजकुमारी बाई बाल निकेतन में रखने का निर्देश देकर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का पटाक्षेप कर दिया।

जबलपुर के गोरखपुर थाना क्षेत्र निवासी ने यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। कहा गया कि 6 मार्च 2019 को उनकी नाबालिग पुत्री का अपहरण क्षेत्र के ही अभिषेक कौरव नामक युवक ने कर लिया। इसकी शिकायत पुलिस से की गई। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर कोर्ट की शरण ली गई। 26 अगस्त को गोरखपुर पुलिस के पेश करने के बाद कोर्ट ने किशोरी को बाल निकेतन भेजने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने उसके माता-पिता को बुलाया था। बुधवार को याचिकाकर्ता अपनी पत्नी के साथ कोर्ट में उपस्थित हुआ। गोरखपुर थाने में पदस्थ सब इंस्पेक्टर मदन सिंह मरावी ने महिला आरक्षक रामवती के साथ किशोरी को भी पेश किया। कोर्ट के पूछने पर किशोरी ने एक बार फिर माता-पिता के साथ जाने से इंकार कर दिया। इस पर कोर्ट ने याचिका निराकृत कर किशोरी को वयस्क होने तक बाल निकेतन में रखने का निर्देश दे दिया। कोर्ट ने कहा कि इस दौरान मनोचिकित्सक से उसकी काउंसिलिंग कराई जाए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नरेंद्र चौहान व सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता पारितोष गुप्ता उपस्थित हुए।

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