अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सीहोर के आदेश पर उन्होंने 21 लाख 943 रुपए बैंक में जमा कर दिया। इस राशि में से 8 लाख रुपए पीडि़त को दे दिए गए। इसके बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने बैंक को 13 लाख 943 रुपए याचिकाकर्ता को वापस करने का आदेश दिया। न्यायालय के आदेश के बाद भी उन्हें रकम नहीं लौटाई गई। इस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई। हाईकोर्ट ने 13 नवंबर 2017, 24 नवंबर 2017, 5 सितंबर 2018 और 10 जनवरी 2019 को बैंक को जवाब के लिए अवसर दिया, लेकिन जवाब नहीं दिया गया। इस पर नाराज होकर कोर्ट ने बैंक पर 10 हजार रुपए की कॉस्ट लगा दी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता कपिल शर्मा ने पक्ष रखा।