पहले यह होती थी कार्रवाई
थाना और ट्रैफिक पुलिस द्वारा प्वाइंटस लगाकर कारों को रोका जाता था।
कारों की काली फिल्म को मौके पर निकाला जाता था।
वाहन मालिक व चालक के खिलाफ कार्रवाई की जाती थी।
यदि कोई वाहन न रुके, तो उसके रजिस्टे्रशन नम्बर के आधार पर मालिक को नोटिस भेजा जाता था।
यहां लगाई जाती हैं
सिविक सेंटर
रसल चौक
विजय नगर
पुराना बस स्टैंडम
यह करते हैं दुकान संचालक
कार मालिकों को नहीं देते नियमों की जानकारी।
डार्क काली फिल्म में कम लागत और अधिक मुनाफा कमाते हैं।
नियमानुसार पारदर्शी फिल्म की कीमत है अधिक।
अधिकतर कारों में डार्क काली फिल्म लगाते हैं।
यह है नियम
कार की खिड़की के शीशे 50 प्रतिशत तक पारदर्शी होने चाहिए।
कार का पिछला कांच 70 प्रतिशत तक पारदर्शी होना चाहिए।
कारों में कंपनी से लगे आने वाले कांच पर भी यही नियम।
न्यायालय ने भी काली कांच वाली कारों पर लगाई है रोक।
काली फिल्म लगी कारों के खिलाफ नियमित रूप से कार्रवाई की जाती है। कार्रवाई में तेजी लाई जाएगी। वहीं काली फिल्म लगाने वाले दुकानदारांे को भी समझाइश दी जाएगी।
हेमंत बरहैयाथाना प्रभारी, ट्रैफिक