मादक पदार्थों की तस्करी के कॉरीडोर का केंद्र बना शहर
जबलपुरPublished: Oct 24, 2021 09:31:40 pm
-ओडिशा से छत्तीसगढ़ होते जबलपुर पहुंच रही नशे की खेप
corridor of drug trafficking
जबलपुर. शहर में मादक पदार्थों की तस्करी कई रूट से होने के बात सामने आई है। अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह उत्तर और दक्षिण रूट के जरिए ज्यादातर तस्करी करते हैं। अंतरराज्यीय रैकेट आमतौर पर ट्रेन और बसों के जरिए गांजा, स्मैक की खेप इधर से उधर पहुंचाते हैं। जानकारों के अनुसार एक तरह से जबलपुर तस्करी के विभिन्न कॉरीडोर अथवा रूट के केंद्र में आ गया है।
हाल ही में पकड़े गए ज्यादातर मामलों में आरोपियों ने ओडिशा से छत्तीसगढ़ होते हुए गांजा और स्मैक की तस्करी कबूल की। कभी ओडिशा से रायपुर होते हुए जबलपुर तक खेप पहुंचाई, तो कभी छत्तीसगढ़ से रास्ता बदल लिया। पुलिस को चकमा देने के लिए शहडोल, मंडला या अमरकंटक वाला रास्ता भी चुना। तिलवारा पुलिस ने पिछले दिनों बिना नम्बर की मोटरसाइकिल को संदेह के आधार पर पकड़ा, तो सीट के नीचे गांजा के चार पैकेट मिले। आरोपियों ने पूछताछ में गांजे की यह खेप ओडिशा से मोटरसाइकिल से लाना स्वीकर किया। ग्रामीण क्षेत्र में पकड़े गए आरोपियों से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मादक पदार्थ जब्त किया जाता रहा है। जाहिर कि वे किसी तस्कर गिरोह का हिस्सा बनकर काम करते हैं। स्थानीय स्तर पर फुटकर तरीके से नशा करने वालों को बेचते हैं।
प्रदेश में 15 जिलों में चिंताजनक हालात
मादक पदार्थों की तस्करी के संवेदनशील जिलों में महाकोशल क्षेत्र के जबलपुर, छिंदवाड़ा और नरसिंहपुर शामिल हैं। इनके अलावा भोपाल, होशंगाबाद, ग्वालियर, सतना, सागर, दतिया और रीवा के अलावा मालवा क्षेत्र में इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, नीमच और रतलाम, विदिशा और आगर-मालवा जिले को भी मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में संवेदनशील माना जाता है।
ये हैं तस्करी के प्रमुख कॉरीडोर
उत्तर प्रसार नेटवर्क- मुख्य रूप से इस रूट से गांजे की तस्करी की जाती है। इसका प्रसार नेपाल, उप्र के रास्ते नरसिंहपुर होते हुए चेन्नई तक है।
दक्षिण प्रसार नेटवर्क- यह भी गांजे की तस्करी का प्रमुख नेटवर्क है, जो दक्षिण में आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र होते हुए जबलपुर को जोड़ता है।
राजस्थान से रेलवे रूट- कोकीन-ड्रग्स की थोड़ी-थोड़ी मात्रा राजस्थान से ट्रेनों के जरिए जबलपुर तक लाई जाती है। पुडिय़ा में इसकी तस्करी होती है।
रासायनिक मादक पदार्थ- झुग्गी-बस्तियों में इस तरह का चलन अधिक है। इनमें कफ सिरप, आयोडेक्स, साल्युशन और अन्य पदार्थ शामिल हैं।
-पहले की तुलना में युवा तेजी से नशे की गिरफ्त में आया है। जबलपुर और आसपास के जिलों में गांजा, स्मैक और रासायनिक मादक पदार्थों की आपूर्ति रोकने के लिए समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। इसके प्रसार नेटवर्क को भी तोडऩे की ज्यादा जरूरत है।
बीएस चौहान, सेवानिवृत्त आइजी