सरकारी स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था को उच्च कोटि में ढालने की शुरू हुई प्रक्रिया में सरकारी स्कूलों का प्राईवेट स्कूलों में एक्सपोजर विजिट किया जा रहा है। इस विजिट के दौरान स्कूलों के शिक्षक भव्य बिल्डिंग, उम्दा इंफ्रास्ट्रक्चर, सुसज्जित लैब देखकर हतप्रभ हो रहे हैं। उनके मन में मलाल है कि काश अगर एेसी व्यवस्था हमारे यहां के सरकारी स्कूलों में की जाती तो आज स्कूलों का भ्रमण कर देखने जैसी स्थिति नहीं होती। कुछ एेसी ही बात निजी स्कूलों का भ्रमण करने जा रहे शिक्षकों द्वारा व्यक्त की जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देश पर शुरू हुई विजिट में अब तक आधा दर्जन स्कूलों का सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों द्वारा विजिट किया जा चुका है।
तीन घंटे में बिताए रानी दुर्गावती कन्या उमावि एवं कन्या उमावि बघराजी के प्राचार्यों एवं शिक्षकों की टीम ने पिछले दिन क्राइस्टचर्च ब्याज स्कूल का निरीक्षण करने पहुंची। स्कूल की बिल्डिंग, स्टाफ, छात्रों की लैब, शिक्षण व्यवस्था, सिलेबस, पढ़ाई के तरीकों आदि की जानकारी ली। टीम को क्राईस्टचर्च गल्र्स स्कूल का भी निरीक्षण करना था लेकिन तीन घंटे एक ही स्कूल में व्यतीत हो गए। प्राचार्य नदंनी द्विवेदी, प्राचार्य बघराजी एमएल बागरी, रश्मि खरे, माधुरी, अल्पना खरे, शिवकुमार, एम उराव की टीम ने प्राचार्य के एसी कक्ष से लेकर कम्प्यूटर लैब, सिलेबस, किताबें, पढ़ाई की तकनीक आदि की जानकारी ली।
यह बात उभरकर आई सामने विजिट के दौरान यह बात चर्चा में निकलकर आई कि सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों की तुलना में सुविधाओं की कमी है। शिक्षक आेवर लोड रहते हैं। खुद निर्णय लेने में अक्षम। पढ़ाई के साथ अन्य प्रशासनिक कार्यों की भी जवाबदारी से उत्कृष्ट प्रदर्शन देने का अभाव। भले ही स्कूलों का रिजल्ट बेहतर हो लेकिन तकनीकी सुविधाओं आज भी बौनी।
वर्जन -सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधार के लिए ५०० से अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों को विजिट कराया जा रहा है। इसका फीडबैक विभाग को भेजा जाएगा ताकि आगामी समय में बदलाव किए जाने पर ब्लू प्रिंट तैयार जा सके।
-सुनील नेमा, जिला शिक्षा अधिकारी