मदन महल पहाड़ी के हरित क्षेत्र में दानव बाबा पहाड़ी के आसपास बनी कॉलोनियों व उनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है। जिससे कि उनकी स्वीकृति से लेकर निर्माण तक की विस्तृत जानकारी जुटाकर फाइनल रिपोर्ट तैयार की जा सके।
मनीषा वास्कले, एसडीएम
तीन दशक में जमीन की बंदरबांट
जबलपुर•Mar 03, 2019 / 01:33 am•
shyam bihari
madan mahal
जबलपुर। मदन महल पहाड़ी के ग्रीन बेल्ट में दानव बाबा पहाड़ी के आसपास कई बड़ी कालोनियां तान दी गईं। हरित क्षेत्र को चौपट कर कॉलोनियों का विकास किया गया। प्रशासन के जिम्मेदार विभाग कालोनाइजरों को ऐसा करने से रोकने के बजाए उनके मददगार बन गए। जिला प्रशासन की ओर से पहाड़ी के हरित क्षेत्र में की जा रही सर्चिंग से इस बात का खुलासा हुआ है कि यलो बेल्ट यानी रहवासी क्षेत्र में केवल सैनिक सोसायटी विकसित हुई। उसके अलावा विकसित की गई सभी कॉलोनी ग्रीन बेल्ट में हैं। जानकारों का कहना है कि टीएंडसी, राजस्व अमला व नगर निगम निगम की कॉलोनी सेल ने इन जमीनों का बंदरबांट आखिर क्यों नहीं रोका।
सबकी मिलीभगत
किसी भी कॉलोनी के विकास के लिए सबसे पहले राजस्व विभाग से जमीन का मद परिवर्तन कराना होता है। टाउन एंड कं ट्री प्लानिंग से स्वीकृति लेना होती है। इसके बाद नगर निगम की कॉलोनी सेल से नक्शा पास कराना होता है। यानी ये प्रक्रिया प्रशासन के तीन महत्वपूर्ण कार्यालयों से होकर गुजरती है। ऐसे में सबकी मिलीभगत के बगैर ग्रीन बेल्ट की जमीन पर कॉलोनियों का निर्माण संभव ही नहीं है।
नहीं किया जा सकता मद परिवर्तन
ग्रीन बेल्ट की जमीन निजी होने पर भी उसका उपयोग उद्यान, चिल्ड्रन पार्क, घांस-फू स-बांस से बनी झोपड़ीनुमा आकृति के विकास के लिए किया जा सकता है। लेकिन ग्रीन बेल्ट की जमीन का किसी भी हाल में मद परिवर्तन संभव नहीं है। इन जमीनों का उपयोग पक्के निर्माण कार्य के लिए नहीं किया जा सकता है।
मदन महल पहाड़ी के हरित क्षेत्र में दानव बाबा पहाड़ी के आसपास बनी कॉलोनियों व उनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है। जिससे कि उनकी स्वीकृति से लेकर निर्माण तक की विस्तृत जानकारी जुटाकर फाइनल रिपोर्ट तैयार की जा सके।
मनीषा वास्कले, एसडीएम
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